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7 Benefits of mulethi in hindi | मुलेठी के फायदे और उपयोग

7 Benefits of mulethi in hindi | मुलेठी के फायदे और उपयोग

मुलेठी एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसे अंग्रेज़ी में Licorice कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम Glycyrrhiza glabra है। यह एक जड़ी-बूटी है, जिसकी जड़ें स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी मानी जाती हैं। इसका स्वाद मीठा होता है, इसलिए इसे “मीठी जड़” भी कहा जाता है। मुलेठी का उपयोग हजारों सालों से आयुर्वेदिक, यूनानी और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में किया जाता रहा है। यह मुख्य रूप से सर्दी, खांसी, गले की खराश, पेट की समस्याओं और सांस संबंधी बीमारियों के इलाज में उपयोगी है। इसका सेवन चाय, पाउडर या काढ़ा के रूप में किया जा सकता है। [ मुलेठी के फायदे और उपयोग ]


मुलेठी क्या है?

मुलेठी एक बहुउपयोगी औषधीय पौधा है जो प्राकृतिक रूप से मीठा होता है और इसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसे मुख्य रूप से गले की खराश, खांसी, और श्वसन संबंधी समस्याओं में राहत पाने के लिए उपयोग किया जाता है। मुलेठी की जड़ें औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं और इसमें मुख्य रूप से ग्लाइसीर्रिज़िन (glycyrrhizin) नामक यौगिक होता है, जो इसके मीठे स्वाद और औषधीय गुणों के लिए जिम्मेदार होता है।

मुलेठी का उपयोग पारंपरिक आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सा में प्राचीन काल से किया जाता आ रहा है। इसे शरीर में सूजन कम करने, पाचन तंत्र को सुधारने, और इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मददगार माना जाता है। मुलेठी का सेवन चाय, पाउडर, या काढ़े के रूप में किया जा सकता है। इसके अलावा, इसे गले के संक्रमण, पेट की जलन, अल्सर, और त्वचा रोगों में भी कारगर माना गया है। हालांकि, मुलेठी का लंबे समय तक और अधिक मात्रा में सेवन करने से स्वास्थ्य पर कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं, इसलिए इसका उपयोग चिकित्सकीय परामर्श से करना चाहिए।


मुलेठी के 7 फायदे व उपयोग

  1. गले की खराश और खांसी में राहत: मुलेठी का सेवन गले की खराश, खांसी और सर्दी-जुकाम में आराम दिलाता है। यह श्वसन तंत्र को साफ करने और संक्रमण से लड़ने में मदद करता है।
  2. पाचन सुधार: मुलेठी पेट की जलन, अपच, और कब्ज जैसी समस्याओं में राहत देती है। यह पाचन तंत्र को सुधारने में मददगार है।
  3. इम्यून सिस्टम को मजबूत करना: मुलेठी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल गुण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।
  4. श्वसन रोगों में उपयोग: अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, और अन्य श्वसन संबंधी रोगों में मुलेठी उपयोगी होती है, क्योंकि यह सांस लेने में आसानी करती है।
  5. त्वचा के रोग: मुलेठी का बाहरी उपयोग त्वचा की सूजन, खुजली, और एक्जिमा जैसी समस्याओं में आराम दिलाता है।
  6. लिवर को सुरक्षित रखना: मुलेठी लिवर को विषाक्त पदार्थों से बचाती है और उसके स्वास्थ्य को सुधारती है।
  7. मानसिक स्वास्थ्य: मुलेठी तनाव और थकान को कम करने में मदद करती है। यह मस्तिष्क के स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाती है।


मुलेठी के नाम विभिन्न भाषाओं में | Names of Mulethi in different languages

मुलेठी, जिसे अंग्रेजी में Licorice कहा जाता है, के विभिन्न भाषाओं में निम्नलिखित नाम हैं:

  1. हिन्दी: मुलेठी (Mulethi)
  2. संस्कृत: मधुकर (Madhukar)
  3. उर्दू: मुलेठी (Mulethi)
  4. बंगाली: মুলেথি (Mulethi)
  5. तमिल: ஆயுர்வேதம் (Aayurvedham)
  6. तेलुगु: ముల్తానీ (Mulanthani)
  7. गुजराती: મુલહેતી (Mulheti)
  8. मराठी: मुलेठी (Mulethi)
  9. पंजाबी: ਮੁਲੇਠੀ (Mulethi)
  10. फारसी: شیرین‌ بیان (Shirin Biyan)
  11. अंग्रेजी: Licorice (Licorice)

इन नामों के माध्यम से मुलेठी की पहचान विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों में होती है, और इसका उपयोग स्वास्थ्य संबंधी लाभ के लिए किया जाता है।


मुलेठी के फायदे और उपयोग | Benefits of mulethi in hindi


1. गले की खराश और खांसी में राहत

1. गले की खराश और खांसी में राहत

मुलेठी का सबसे प्रमुख उपयोग गले की खराश और खांसी से राहत पाने के लिए किया जाता है। इसमें प्राकृतिक रूप से सूजन-रोधी (anti-inflammatory) और जीवाणुरोधी (antibacterial) गुण होते हैं, जो गले के संक्रमण और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। मुलेठी में मौजूद ग्लाइसीर्रिज़िन (Glycyrrhizin) नामक यौगिक गले की जलन को शांत करने का कार्य करता है और खांसी को कम करता है।

गले की खराश होने पर मुलेठी की जड़ को चूसना या मुलेठी की चाय का सेवन करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है। मुलेठी का उपयोग बलगम को पतला करने में भी सहायक होता है, जिससे खांसी में बलगम आसानी से बाहर निकल जाता है और गले में राहत मिलती है। इसके अलावा, यह गले के सूक्ष्म जीवाणुओं को मारकर संक्रमण से बचाव करती है।

सर्दियों के मौसम में, जब सर्दी-जुकाम और गले की समस्याएं आम होती हैं, मुलेठी का सेवन इन्हें रोकने और ठीक करने के लिए एक प्राकृतिक और प्रभावी उपाय है। इसे काढ़े, चाय, या चूर्ण के रूप में सेवन किया जा सकता है। यह न केवल गले की समस्याओं में तुरंत राहत देता है, बल्कि लंबी अवधि तक इसका नियमित सेवन करने से गले की बीमारियों से बचाव भी होता है।


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2. पाचन सुधार

मुलेठी का उपयोग पाचन तंत्र को सुधारने में विशेष रूप से फायदेमंद होता है। इसमें पाए जाने वाले गुण पेट की समस्याओं जैसे अपच, पेट की जलन, और कब्ज को दूर करने में मदद करते हैं। मुलेठी में मौजूद यौगिक ग्लाइसीर्रिज़िन (Glycyrrhizin) और फ्लेवोनोइड्स पेट की मांसपेशियों को आराम देते हैं, जिससे गैस्ट्रिक एसिड का उत्पादन नियंत्रित होता है और पेट की जलन से राहत मिलती है।

यह पेट की अंदरूनी परत को सुरक्षित रखती है और इसे सूजन व अल्सर से बचाती है। मुलेठी का सेवन आंतों में स्वस्थ बैक्टीरिया को बढ़ावा देता है, जिससे पाचन तंत्र बेहतर ढंग से काम करता है। अपच की स्थिति में मुलेठी का पाउडर या चूर्ण शहद के साथ मिलाकर लेने से राहत मिलती है।

इसके नियमित उपयोग से पाचन में सुधार होता है और पेट के अल्सर व एसिडिटी की समस्याओं को भी नियंत्रित किया जा सकता है। इसका सेवन चाय या पाउडर के रूप में किया जा सकता है।


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3. इम्यून सिस्टम को मजबूत करना

मुलेठी का सेवन इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में प्रभावी होता है। इसमें प्राकृतिक रूप से एंटीऑक्सीडेंट, एंटीवायरल, और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो शरीर को हानिकारक बैक्टीरिया, वायरस और अन्य सूक्ष्मजीवों से लड़ने में मदद करते हैं। मुलेठी में पाया जाने वाला प्रमुख यौगिक ग्लाइसीर्रिज़िन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देता है और संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है।

यह शरीर में सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करके प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय और संतुलित बनाए रखने में मदद करती है। मुलेठी का नियमित सेवन न केवल सर्दी-जुकाम जैसे सामान्य संक्रमणों से बचाव करता है, बल्कि गंभीर बीमारियों जैसे ब्रोंकाइटिस और सांस संबंधी अन्य रोगों से भी रक्षा करता है। इसके अलावा, यह शरीर को डिटॉक्स करने और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में भी मदद करती है, जिससे इम्यून सिस्टम और भी मजबूत होता है। इसे चाय, काढ़ा, या पाउडर के रूप में लिया जा सकता है।


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श्वसन रोगों में उपयोग

4. श्वसन रोगों में उपयोग

मुलेठी श्वसन तंत्र के लिए बेहद फायदेमंद होती है और इसका उपयोग अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, खांसी, और अन्य श्वसन संबंधी रोगों में किया जाता है। इसमें प्राकृतिक सूजन-रोधी (anti-inflammatory) और बलगम निकालने वाले (expectorant) गुण होते हैं, जो फेफड़ों में जमा बलगम को पतला कर उसे बाहर निकालने में मदद करते हैं। इससे सांस लेना आसान हो जाता है और खांसी में भी राहत मिलती है।

मुलेठी का सेवन श्वसन नलिकाओं को शांत करता है, सूजन को कम करता है और फेफड़ों की सुरक्षा करता है। अस्थमा के रोगियों के लिए यह विशेष रूप से लाभकारी है, क्योंकि यह श्वसन मार्ग की मांसपेशियों को आराम देती है और उनमें आई सूजन को कम करती है। मुलेठी का काढ़ा या चाय श्वसन संबंधी समस्याओं में राहत देता है। इसके नियमित उपयोग से सांस से जुड़ी बीमारियों से बचाव होता है और फेफड़ों की क्षमता बेहतर होती है, जिससे श्वसन तंत्र स्वस्थ रहता है।


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5. त्वचा के रोग

मुलेठी त्वचा के रोगों के उपचार में प्रभावी होती है, खासकर सूजन, खुजली, एक्जिमा और अन्य त्वचा संक्रमणों में। इसमें प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी (anti-inflammatory) और एंटीमाइक्रोबियल (antimicrobial) गुण होते हैं, जो त्वचा की जलन और सूजन को कम करते हैं। मुलेठी में मौजूद ग्लाइसीर्रिज़िन और फ्लेवोनोइड्स त्वचा की अंदरूनी परत को ठीक करने और उसे हानिकारक सूक्ष्मजीवों से बचाने में मदद करते हैं।

मुलेठी का पेस्ट बनाकर इसे प्रभावित त्वचा पर लगाने से खुजली और जलन में तुरंत राहत मिलती है। यह त्वचा की ऊपरी परत को नमी प्रदान करती है, जिससे सूखी और फटी हुई त्वचा को आराम मिलता है। एक्जिमा जैसी त्वचा संबंधी समस्याओं में भी मुलेठी का नियमित उपयोग लाभकारी होता है।

इसके अलावा, मुलेठी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स त्वचा को युवा बनाए रखने और झुर्रियों को कम करने में सहायक होते हैं, जिससे त्वचा का प्राकृतिक ग्लो बना रहता है।


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6. लिवर को सुरक्षित रखना

मुलेठी लिवर (यकृत) के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत फायदेमंद मानी जाती है। इसमें मौजूद ग्लाइसीर्रिज़िन यौगिक लिवर की सफाई और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। यह यकृत की सूजन को कम करने और उसे स्वस्थ रखने में प्रभावी है। मुलेठी का नियमित सेवन लिवर को डिटॉक्स करता है और उसे हानिकारक तत्वों से होने वाले नुकसान से बचाता है।

लिवर के विभिन्न रोग, जैसे फैटी लिवर और हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों के इलाज में भी मुलेठी लाभकारी साबित होती है। यह लिवर में एंटीऑक्सीडेंट्स का स्तर बढ़ाकर उसकी मरम्मत करने में मदद करती है और कोशिकाओं को क्षति से बचाती है।

मुलेठी के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण लिवर के सूजन संबंधी विकारों को ठीक करने में सहायक होते हैं। इसके अलावा, यह लिवर में वसा के संचय को नियंत्रित करने में भी मदद करती है, जिससे लिवर की कार्यक्षमता बेहतर होती है और उसके दीर्घकालिक स्वास्थ्य को बनाए रखा जा सकता है।


7. मानसिक स्वास्थ्य

मुलेठी मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। इसमें प्राकृतिक एंटी-एंजाइटी (anti-anxiety) और एंटी-डिप्रेशेंट (anti-depressant) गुण होते हैं, जो तनाव और चिंता को कम करने में मदद करते हैं। इसके सेवन से मस्तिष्क में सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे खुशी देने वाले हार्मोन का स्तर बढ़ता है, जो मूड को बेहतर बनाने और अवसाद के लक्षणों को कम करने में सहायक होते हैं।

इसके अलावा, मुलेठी के सेवन से मानसिक स्पष्टता और ध्यान में सुधार होता है, जिससे अध्ययन या काम में दक्षता बढ़ती है। यह थकान और मानसिक तनाव को कम करने में भी मदद करती है, जिससे व्यक्ति अधिक ऊर्जावान और सक्रिय महसूस करता है।

आयुर्वेद में मुलेठी को एक सुखदायक (calming) जड़ी-बूटी माना गया है, जो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार करती है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी संतुलित रखने में सहायक होती है। इसके नियमित सेवन से तनाव से राहत मिलती है और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।


मुलेठी का इस्तेमाल कैसे करें?

मुलेठी का इस्तेमाल विभिन्न रूपों में किया जा सकता है, और यह आपके स्वास्थ्य की आवश्यकता और समस्या पर निर्भर करता है कि आप किस रूप में इसका सेवन करें। नीचे मुलेठी के विभिन्न रूपों और उनके इस्तेमाल की विधियों के बारे में जानकारी दी गई है:

  1. मुलेठी चाय: मुलेठी का सबसे सामान्य और सरल उपयोग चाय के रूप में है। इसके लिए आप मुलेठी की जड़ के छोटे टुकड़े या पाउडर का उपयोग कर सकते हैं। एक कप पानी में मुलेठी की एक छोटी सी जड़ या एक चम्मच पाउडर डालें, इसे 5-10 मिनट तक उबालें और फिर छानकर पिएं। यह चाय गले की खराश, खांसी और सर्दी में राहत देती है। इसे दिन में 1-2 बार पिया जा सकता है।
  2. मुलेठी का काढ़ा: सर्दी-जुकाम, श्वसन संक्रमण और शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए मुलेठी का काढ़ा भी लाभकारी होता है। इसके लिए आप मुलेठी की जड़, तुलसी, अदरक, और काली मिर्च का मिश्रण तैयार कर सकते हैं। इसे पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं और धीरे-धीरे सेवन करें। यह काढ़ा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के साथ-साथ गले और फेफड़ों के लिए फायदेमंद है।
  3. पाउडर के रूप में: मुलेठी का पाउडर भी एक लोकप्रिय विकल्प है। आप इसे शहद या गर्म पानी के साथ मिला सकते हैं और इसे दिन में एक बार ले सकते हैं। इससे पाचन सुधार होता है और पेट की समस्याओं में राहत मिलती है। यह त्वचा की सूजन और जलन में भी उपयोगी है।
  4. मुलेठी का पेस्ट: त्वचा की समस्याओं के लिए मुलेठी का पेस्ट बहुत उपयोगी हो सकता है। आप मुलेठी पाउडर को पानी या गुलाब जल में मिलाकर एक पेस्ट तैयार कर सकते हैं और इसे प्रभावित त्वचा पर लगा सकते हैं। यह पेस्ट खुजली, एक्जिमा, और सूजन को कम करने में मदद करता है।
  5. गले की समस्या के लिए: मुलेठी की छोटी जड़ को मुंह में रखकर धीरे-धीरे चूसने से गले की खराश, सूजन, और दर्द में राहत मिलती है। यह प्राकृतिक तरीके से गले की समस्या को ठीक करने का एक अच्छा उपाय है।
  6. मुलेठी कैप्सूल: बाजार में मुलेठी कैप्सूल और टैबलेट्स भी उपलब्ध होते हैं, जो विभिन्न बीमारियों के लिए उपयोगी होते हैं। इन्हें डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही लेना चाहिए, ताकि शरीर को सही मात्रा में मुलेठी के गुण मिल सकें।
  7. मुलेठी तेल: मुलेठी का तेल भी उपयोग में लाया जा सकता है। इसे त्वचा पर मालिश करने से त्वचा की सूजन और खुजली में राहत मिलती है। मुलेठी तेल का उपयोग बालों के झड़ने और स्कैल्प से संबंधित समस्याओं में भी फायदेमंद होता है।

मुलेठी के उपयोग के बावजूद, यह ध्यान रखना आवश्यक है कि इसका अधिक मात्रा में सेवन हानिकारक हो सकता है। विशेषकर उच्च रक्तचाप, गर्भावस्था, और कुछ दवाओं के साथ मुलेठी का सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करें।



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