तालमखाना बीज आयुर्वेद में महत्वपूर्ण औषधि के रूप में उपयोग किए जाते हैं। तालमखाना के बीज यौन स्वास्थ्य, सूजन, गठिया, और मूत्र रोगों के इलाज में सहायक होते हैं। इसके बीज स्वाद में कड़वे होते हैं, जबकि पत्ते मीठे होते हैं। यह पौधा आमतौर पर तालाबों, झीलों और नदी किनारों पर पाया जाता है। आयुर्वेद में इसके बीजों का प्रयोग विभिन्न रोगों के उपचार और शरीर की प्रतिरक्षा बढ़ाने के लिए किया जाता है। [ Talmakhana Seeds Benefits in Hindi ]
तालमखाना सीड्स क्या है?
तालमखाना, जिसे कोकिलाक्ष भी कहा जाता है, का वानस्पतिक नाम Hygrophila auriculata है। यह एक बहुवर्षीय औषधीय पौधा है, जो आमतौर पर तालाबों, झीलों, और नदी किनारों पर पाया जाता है। तालमखाना के बीजों का उपयोग प्राचीन काल से आयुर्वेद में विभिन्न औषधीय गुणों के लिए किया जाता रहा है।
तालमखाना के बीज स्वाद में कड़वे होते हैं, लेकिन इनके लाभ अनेक हैं। इनका प्रमुख उपयोग यौन स्वास्थ्य सुधारने में किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, ये बीज यौन समस्याओं को दूर करने, पुरुषों की यौन शक्ति बढ़ाने, और वीर्य की गुणवत्ता सुधारने में सहायक होते हैं। इसके अलावा, तालमखाना के बीज सूजन, गठिया, और मूत्र संबंधी विकारों के इलाज में भी फायदेमंद होते हैं।
तालमखाना का उपयोग शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने, ऊर्जा और शक्ति बढ़ाने, और पाचन को सुधारने के लिए भी किया जाता है। इसके बीजों का सेवन विभिन्न रूपों में किया जा सकता है, जैसे काढ़े, चूर्ण, या हर्बल मिश्रण के रूप में।
इस पौधे का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से उपलब्ध है और इसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं। तालमखाना के बीजों का नियमित सेवन, आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह अनुसार, कई रोगों से निपटने और समग्र स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकता है।
तालमखाना के विभिन्न भारतीय भाषाओं में नाम | Name of Talamkhana in different Indian languages
- हिंदी (Hindi): तालमखाना (Talmakhana), कोकिलाक्ष (Kokilaksha)
- संस्कृत (Sanskrit): कोकिलाक्ष (Kokilaksha)
- मराठी (Marathi): तलमखाना (Talamkhana)
- गुजराती (Gujarati): तलमखाना (Talamkhana)
- तमिल (Tamil): நீர்முள்ளி விதைகள் (Neermulli Vidhai)
- तेलुगु (Telugu): నీరుగొండ కుర్ర (Neerugonda Kurra)
- कन्नड़ (Kannada): ನೆಲುಬು ಗಿಡ (Nelubu Gida)
- मलयालम (Malayalam): നീര് മൂള്ളി (Neer Mulli)
- बंगाली (Bengali): কোকিলাক্ষ (Kokilaksha)
- ओड़िया (Odia): କୋକିଲାକ୍ଷ (Kokilaksha)
- पंजाबी (Punjabi): ਤਲਮਖਾਨਾ (Talmakhana)
- असमिया (Assamese): কোকিলাক্ষ (Kokilaksha)
इन नामों से तालमखाना के बीज विभिन्न भारतीय भाषाओं में पहचाने जाते हैं और इनका प्रयोग आयुर्वेदिक उपचारों में होता है।
तलमाखाना सीड्स के 9 जरुरी फायदे | Talmakhana Seeds Benefits in Hindi
1. यौन स्वास्थ्य में तालमखाना के फायदे | Benefits of Talamkhana in sexual health
यौन स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण पहलू है जो व्यक्तिगत सुख, मानसिक स्वास्थ्य, और समग्र जीवन गुणवत्ता को प्रभावित करता है। यौन स्वास्थ्य में शारीरिक, मानसिक, और सामाजिक तंदुरुस्ती शामिल होती है और यह केवल यौन संक्रमणों या रोगों से बचाव तक सीमित नहीं है। इसमें यौन इच्छाओं की समझ, संबंधों में संतुष्टि, और यौनिकता के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण शामिल हैं।
तालमखाना के बीज यौन स्वास्थ्य के सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, तालमखाना के बीजों का सेवन यौन समस्याओं, जैसे नपुंसकता, शीघ्रपतन, और यौन इच्छा की कमी को दूर करने में सहायक होता है। इन बीजों में मौजूद औषधीय गुण पुरुषों में वीर्य की गुणवत्ता और मात्रा बढ़ाने में मदद करते हैं, जिससे उनकी यौन क्षमता में सुधार होता है।
इसके अलावा, तालमखाना के बीज शारीरिक ऊर्जा और सहनशक्ति को बढ़ाते हैं, जो यौन क्रियाओं के दौरान आवश्यक होते हैं। इनमें मौजूद प्राकृतिक तत्व तनाव और चिंता को कम करने में भी सहायक होते हैं, जिससे मानसिक तंदुरुस्ती बनी रहती है और व्यक्ति यौन जीवन का पूर्ण आनंद ले पाता है।
तालमखाना के बीजों का सेवन विभिन्न रूपों में किया जा सकता है, जैसे कि काढ़े के रूप में, चूर्ण के रूप में, या अन्य आयुर्वेदिक मिश्रणों में मिलाकर। नियमित और सही मात्रा में इनका सेवन करने से यौन स्वास्थ्य में उल्लेखनीय सुधार देखा जा सकता है। हालांकि, किसी भी आयुर्वेदिक उपचार को शुरू करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना महत्वपूर्ण है।
2. सूजन कम करने में तालमखाना के फायदे | Benefits of Talamkhana in reducing inflammation
सूजन एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या है जो शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। यह शरीर की एक सामान्य प्रतिक्रिया है जो संक्रमण, चोट, या किसी भी प्रकार की जलन के कारण हो सकती है। सूजन में प्रभावित क्षेत्र में लालिमा, गर्मी, दर्द, और सूजन दिखाई देती है। यह आमतौर पर शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र की ओर से एक संकेत होता है कि वह किसी बाहरी आक्रमण का मुकाबला कर रहा है।
तालमखाना के बीज सूजन को कम करने में प्रभावी होते हैं। आयुर्वेद में, तालमखाना का उपयोग प्राचीन काल से सूजन के उपचार के लिए किया जा रहा है। इसके बीजों में प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर की सूजन को कम करने में मदद करते हैं। यह सूजन के कारण होने वाले दर्द और असुविधा को भी कम करता है।
तालमखाना के बीजों का नियमित सेवन गठिया, जोड़ों के दर्द, और मांसपेशियों की सूजन जैसी समस्याओं में राहत प्रदान करता है। इसके अलावा, यह बीज शरीर के विभिन्न अंगों में सूजन को नियंत्रित करने में मदद करता है, जिससे शारीरिक तंदुरुस्ती बनी रहती है।
तालमखाना के बीजों का सेवन काढ़े, चूर्ण, या हर्बल मिश्रण के रूप में किया जा सकता है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण, यह त्वचा की सूजन, जैसे एक्जिमा और सोरायसिस के उपचार में भी सहायक है। आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की सलाह अनुसार तालमखाना का सही उपयोग करने से सूजन और उससे संबंधित समस्याओं में राहत पाई जा सकती है।
3. गठिया ठीक करने में तालमखाना के फायदे | Benefits of Talamkhana in curing arthritis
गठिया एक दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्या है जो जोड़ों में सूजन और दर्द का कारण बनती है। यह एक प्रकार की गठिया है जिसमें जोड़ों के अंदर की झिल्ली सूज जाती है, जिससे जोड़ों में दर्द, कठोरता, और गति की सीमा में कमी होती है। गठिया आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ होती है, लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकती है। इसमें ऑस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटोइड आर्थराइटिस जैसे प्रमुख प्रकार शामिल हैं।
आयुर्वेद में, तालमखाना के बीजों का उपयोग गठिया के इलाज में प्रभावी माना गया है। तालमखाना, जिसे कोकिलाक्ष भी कहा जाता है, के बीजों में प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुण होते हैं, जो सूजन और दर्द को कम करने में मदद करते हैं। इसके बीजों का सेवन जोड़ों की सूजन को कम करता है और दर्द में राहत प्रदान करता है, जिससे रोगी की जीवन गुणवत्ता में सुधार होता है।
तालमखाना के बीजों का सेवन विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है, जैसे कि काढ़े के रूप में, चूर्ण के रूप में, या अन्य हर्बल मिश्रणों में मिलाकर। नियमित रूप से इनका सेवन करने से जोड़ों की कठोरता और दर्द में उल्लेखनीय सुधार देखा जा सकता है।
इसके अलावा, तालमखाना के बीज शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत करते हैं, जिससे रूमेटोइड आर्थराइटिस जैसी ऑटोइम्यून स्थितियों में भी लाभ होता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा में तालमखाना का सही और नियमित उपयोग गठिया के दीर्घकालिक प्रबंधन में सहायक हो सकता है। हालांकि, किसी भी आयुर्वेदिक उपचार को शुरू करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना महत्वपूर्ण है।
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4. मूत्र संबंधी समस्याएं ठीक करने में तालमखाना के फायदे | Benefits of Talamkhana in curing urinary problems
मूत्र संबंधी समस्याएं एक आम स्वास्थ्य समस्या है जो किसी भी उम्र में हो सकती है। इसमें मूत्र संक्रमण, मूत्र रुकावट, मूत्र असंयम, और गुर्दे की पथरी जैसी समस्याएं शामिल हैं। ये समस्याएं कई कारणों से हो सकती हैं, जैसे बैक्टीरियल संक्रमण, पथरी, मधुमेह, और प्रोस्टेट की समस्याएं। मूत्र संबंधी समस्याएं न केवल शारीरिक असुविधा का कारण बनती हैं, बल्कि जीवन की गुणवत्ता को भी प्रभावित करती हैं।
तालमखाना के बीज आयुर्वेद में मूत्र संबंधी समस्याओं के उपचार के लिए उपयोग किए जाते हैं। तालमखाना, जिसे कोकिलाक्ष भी कहा जाता है, के बीजों में मूत्रवर्धक (डायूरेटिक) गुण होते हैं, जो मूत्र के प्रवाह को बढ़ाने में मदद करते हैं। यह गुर्दे को साफ करने और मूत्र मार्ग को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं।
मूत्र संक्रमण (यूटीआई) के मामलों में, तालमखाना के बीज संक्रमण को कम करने और मूत्र मार्ग को साफ रखने में मदद करते हैं। इसके अलावा, मूत्र रुकावट और मूत्र असंयम जैसी समस्याओं में भी यह बीज लाभकारी होते हैं।
तालमखाना के बीजों का सेवन विभिन्न रूपों में किया जा सकता है, जैसे कि काढ़े के रूप में, चूर्ण के रूप में, या अन्य हर्बल मिश्रणों में मिलाकर। नियमित रूप से इनका सेवन करने से मूत्र मार्ग की सफाई होती है और संक्रमण की संभावना कम हो जाती है।
तालमखाना के बीज गुर्दे की पथरी के निवारण और उपचार में भी सहायक हैं। इनका सेवन करने से पथरी टूटकर मूत्र के माध्यम से बाहर निकलने में आसानी होती है। मूत्र संबंधी समस्याओं के प्रबंधन के लिए तालमखाना का उपयोग किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह अनुसार करना चाहिए ताकि अधिकतम लाभ प्राप्त हो सके।
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5. शक्ति और ऊर्जा बढ़ाने में तालमखाना के फायदे | Benefits of Talamkhana in increasing strength and energy
शक्ति और ऊर्जा जीवन की मूलभूत आवश्यकताएँ हैं जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। पर्याप्त ऊर्जा और शक्ति से व्यक्ति दैनिक कार्यों को कुशलतापूर्वक कर सकता है, मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, और समग्र जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि होती है। ऊर्जा की कमी से थकावट, कमज़ोरी, और मानसिक तनाव उत्पन्न हो सकते हैं, जो जीवन की गतिविधियों में बाधा डालते हैं।
तालमखाना के बीज शक्ति और ऊर्जा बढ़ाने में प्रभावी होते हैं। आयुर्वेद में, तालमखाना को एक महत्वपूर्ण औषधि माना जाता है जो शरीर की ऊर्जा और सहनशक्ति को बढ़ाने में सहायक है। इसके बीजों में प्राकृतिक तत्व होते हैं जो शरीर में ऊर्जा के स्तर को बनाए रखने में मदद करते हैं। ये बीज थकावट और कमजोरी को दूर करने में प्रभावी होते हैं, जिससे व्यक्ति की कार्यक्षमता में सुधार होता है।
तालमखाना के बीजों का सेवन शरीर को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है और ऊर्जा के उत्पादन में सहायक होता है। यह मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार की ऊर्जा को संतुलित करने में मदद करता है, जिससे व्यक्ति ऊर्जावान और सक्रिय महसूस करता है।
इन बीजों का सेवन विभिन्न रूपों में किया जा सकता है, जैसे कि काढ़े के रूप में, चूर्ण के रूप में, या हर्बल मिश्रणों में मिलाकर। नियमित रूप से इनका सेवन करने से जीवन में ऊर्जा का स्तर बढ़ता है और थकावट की समस्या में कमी आती है। तालमखाना के बीजों का सही और नियमित उपयोग करने से शरीर में दीर्घकालिक ऊर्जा बनी रहती है और व्यक्ति अपने दैनिक कार्यों को सहजता से अंजाम दे सकता है।
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6. पाचन ठीक करने में तालमखाना के फायदे | Benefits of Talamkhana in improving digestion
पाचन प्रणाली का सुचारू कामकाज समग्र स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। अच्छे पाचन से न केवल भोजन से आवश्यक पोषक तत्वों का अवशोषण होता है, बल्कि यह शरीर की ऊर्जा का स्तर बनाए रखने, विषाक्त पदार्थों को निकालने, और सामान्य स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी मदद करता है। खराब पाचन से अपच, गैस, सूजन, कब्ज, और अन्य पेट संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
तालमखाना के बीज पाचन स्वास्थ्य को सुधारने में सहायक होते हैं। आयुर्वेद में, तालमखाना को एक प्रभावशाली औषधि के रूप में माना जाता है जो पाचन तंत्र को सशक्त बनाती है। इसके बीजों में प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीस्पास्मोडिक गुण होते हैं, जो पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं।
तालमखाना के बीज पाचन प्रणाली को उत्तेजित करते हैं, जिससे भोजन का बेहतर तरीके से पाचन होता है। यह गैस और सूजन को कम करने में भी सहायक है, जिससे पेट की समस्याओं में राहत मिलती है। इसके अलावा, तालमखाना के बीज अपच और कब्ज जैसी समस्याओं को भी नियंत्रित करते हैं, जिससे आंत्र मार्ग की सफाई होती है और पेट की सेहत में सुधार होता है।
इन बीजों का सेवन विभिन्न रूपों में किया जा सकता है, जैसे काढ़े, चूर्ण, या हर्बल मिश्रण के रूप में। नियमित रूप से तालमखाना के बीजों का सेवन करने से पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है, और शरीर को आवश्यक पोषक तत्वों का बेहतर अवशोषण होता है। आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह अनुसार इन बीजों का उपयोग करना पाचन संबंधी समस्याओं से निपटने और समग्र पाचन स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए अत्यंत लाभकारी हो सकता है।
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7. दिल की सेहत के लिए फायदेमंद है तालमखाना | Talamkhana is beneficial for heart health
दिल की सेहत एक व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। हृदय एक प्रमुख अंग है जो पूरे शरीर में रक्त संचार को बनाए रखता है, और इसकी अच्छी स्थिति से जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है। दिल की सेहत का ध्यान रखना आवश्यक है क्योंकि हृदय रोग, जैसे उच्च रक्तचाप, कोरोनरी आर्टरी डिजीज, और दिल का दौरा, स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं और जीवन की अवधि को प्रभावित कर सकते हैं।
तालमखाना के बीज दिल की सेहत में सुधार लाने में सहायक हो सकते हैं। आयुर्वेद में, तालमखाना के बीजों को हृदय स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण औषधि माना जाता है। इन बीजों में प्राकृतिक तत्व होते हैं जो रक्तदाब को नियंत्रित करने, कोलेस्ट्रॉल स्तर को सुधारने, और हृदय की कार्यक्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं।
तालमखाना के बीज रक्तचाप को स्थिर रखते हैं, जिससे हृदय की संचार प्रणाली पर दबाव कम होता है। इसके अलावा, यह बीज हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करते हैं और हृदय संबंधी समस्याओं की संभावना को कम करते हैं।
तालमखाना के बीजों का सेवन विभिन्न रूपों में किया जा सकता है, जैसे कि काढ़े, चूर्ण, या हर्बल मिश्रण के रूप में। नियमित रूप से इन बीजों का सेवन करने से हृदय की सेहत में सुधार होता है और हृदय रोगों के जोखिम को कम किया जा सकता है। किसी भी स्वास्थ्य उपाय को अपनाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना महत्वपूर्ण है ताकि सही मात्रा और उपयोग की जानकारी प्राप्त की जा सके।
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8. त्वचा स्वास्थ्य में फायदेमंद है तालमखाना | Talamkhana is beneficial for skin health
त्वचा स्वास्थ्य समग्र शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। त्वचा शरीर का सबसे बड़ा अंग है और यह बाहरी तत्वों से सुरक्षा, तापमान नियंत्रण, और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का कार्य करती है। स्वस्थ त्वचा चमकदार और युवावस्था को बनाए रखती है, जबकि त्वचा संबंधी समस्याएं, जैसे सूजन, एक्जिमा, और मुँहासे, जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती हैं।
तालमखाना के बीज त्वचा स्वास्थ्य को सुधारने में सहायक होते हैं। आयुर्वेद में, तालमखाना को एक प्रभावशाली औषधि माना जाता है जो त्वचा की समस्याओं को दूर करने में मदद करती है। इसके बीजों में प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो त्वचा की सूजन, लालिमा, और अन्य संक्रमणों को कम करने में सहायक होते हैं।
तालमखाना के बीज त्वचा की सेहत में सुधार लाते हैं और त्वचा की चमक को बढ़ाते हैं। ये बीज त्वचा की कोशिकाओं को पुनर्जीवित करने, त्वचा की रंगत को सुधारने, और त्वचा की बनावट को बनाए रखने में मदद करते हैं। इसके अलावा, तालमखाना के बीजों का सेवन त्वचा की सूजन और जलन को भी कम करता है, जिससे त्वचा स्वस्थ और संतुलित रहती है।
इन बीजों का सेवन विभिन्न रूपों में किया जा सकता है, जैसे काढ़े, चूर्ण, या हर्बल मिश्रण के रूप में। नियमित रूप से तालमखाना के बीजों का उपयोग करने से त्वचा की समस्याओं में राहत मिलती है और त्वचा के स्वास्थ्य में सुधार होता है। त्वचा स्वास्थ्य में सुधार के लिए तालमखाना का उपयोग किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की सलाह अनुसार करना चाहिए।
9. अनिद्रा में फायदेमंद है तालमखाना | Talamkhana is beneficial in insomnia
अनिद्रा, जिसे नींद की कमी या नींद की समस्या भी कहा जाता है, एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या है जो व्यक्ति की जीवन गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है। यह समस्या तब होती है जब व्यक्ति को पर्याप्त नींद नहीं मिलती या नींद की गुणवत्ता अच्छी नहीं होती। अनिद्रा से व्यक्ति को रात में सोने में कठिनाई होती है, नींद बार-बार टूटती है, या सुबह जल्दी उठने के बाद भी थकावट महसूस होती है। यह समस्या मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है, जैसे थकावट, चिंता, अवसाद, और कार्यक्षमता में कमी।
तालमखाना के बीज अनिद्रा के उपचार में सहायक हो सकते हैं। आयुर्वेद में, तालमखाना को नींद की समस्याओं के समाधान के लिए उपयोगी माना जाता है। इसके बीजों में प्राकृतिक एंटी-डिप्रेसेंट और सुकून देने वाले गुण होते हैं, जो तनाव और चिंता को कम करने में मदद करते हैं। यह मानसिक शांति को बढ़ावा देते हैं और नींद की गुणवत्ता में सुधार करते हैं।
तालमखाना के बीजों का सेवन नियमित रूप से करने से नींद की समस्याओं में राहत मिलती है। इन बीजों का सेवन काढ़े, चूर्ण, या हर्बल मिश्रण के रूप में किया जा सकता है। इनका उपयोग करने से नींद की गहराई और अवधि में सुधार होता है, जिससे व्यक्ति को पूरी तरह से आराम मिलता है।
अनिद्रा के उपचार के लिए तालमखाना का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेना महत्वपूर्ण है ताकि सही मात्रा और उपयोग के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सके और उचित परिणाम प्राप्त किए जा सकें।