गिलोय (Tinospora cordifolia), जिसे संस्कृत में ‘अमृता’ कहा जाता है, एक औषधीय पौधा है जिसे भारतीय आयुर्वेद में अत्यधिक महत्व दिया गया है। यह बेल के रूप में उगता है और इसके पत्ते दिल के आकार के होते हैं। गिलोय में अनेक औषधीय गुण होते हैं, जैसे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना, बुखार और सूजन को कम करना, और पाचन को सुधारना। इसे इम्युनिटी बूस्टर के रूप में जाना जाता है और इसका उपयोग कई प्रकार की बीमारियों के उपचार में किया जाता है, जैसे डायबिटीज, गठिया, त्वचा रोग और पाचन संबंधी समस्याएँ। [ गिलोय के फायदे व उपयोग ]
गिलोय क्या है?
गिलोय, जिसे आमतौर पर ‘अमृता’ और ‘गुडुची’ भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक औषधि है जिसे विभिन्न रोगों के उपचार और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह एक बेल के रूप में उगता है और इसे अक्सर पेड़ों पर चढ़ते हुए देखा जा सकता है। गिलोय के तने, पत्ते और जड़ सभी औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं, लेकिन तने का सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है। आयुर्वेद में गिलोय को “त्रिदोष नाशक” माना गया है, यानी यह वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को संतुलित करता है।
गिलोय का मुख्य गुण इसका इम्यून बूस्टिंग प्रभाव है। यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है और शरीर को संक्रमण और बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। गिलोय का उपयोग मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया जैसे बुखार के इलाज में किया जाता है, क्योंकि यह बुखार को कम करने में सहायक होता है। इसके अलावा, गिलोय का सेवन डायबिटीज, गठिया, त्वचा रोग और पाचन संबंधी समस्याओं में भी लाभकारी होता है। यह शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने और रक्त को शुद्ध करने में भी सहायक है। गिलोय का नियमित सेवन स्वास्थ्य को संपूर्ण रूप से लाभ पहुंचाता है।
गिलोय के नाम विभिन्न भाषाओं में | Names of Giloy in different languages
गिलोय को विभिन्न भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। यहाँ कुछ प्रमुख भाषाओं में गिलोय के नाम दिए गए हैं:
- संस्कृत: अमृता, गुडुची, चक्रांगी, रसायनी
- हिंदी: गिलोय, गुडुची
- अंग्रेज़ी: Heart-leaved Moonseed, Tinospora, Indian Tinospora
- मराठी: गुलवेल, गुळवेल
- गुजराती: गलो, गालो
- तमिल: சிவந்தி (सिंदिल), अमृत्तवल्ली
- तेलुगु: తిప్పతీగ (तिप्पतीगा)
- कन्नड़: అమృతಬಳ್ಳಿ (अमृतबल्लि)
- मलयालम: അമൃത (अमृता), ചിറ്റമൃത (चित्तमृता)
- बंगाली: গুলঞ্চ (गुलंच), গাডুচি (गाडुची)
- उड़िया: ଗୁଲୁଚି (गुलुची)
- पंजाबी: ਬਟਿੰਦੈ (बटिंडा)
- उर्दू: گلوئی (गिलोई)
गिलोय को हर क्षेत्र में उसके पारंपरिक नामों से जाना जाता है, जो उसकी औषधीय उपयोगिता और लोकप्रियता को दर्शाता है।
गिलोय के फायदे व उपयोग | 8 Giloy Benefits in Hindi
1. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना (इम्यूनिटी बूस्टर)
गिलोय को मुख्य रूप से उसकी इम्यूनिटी बढ़ाने की अद्वितीय क्षमता के लिए जाना जाता है। यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करके विभिन्न प्रकार के संक्रमणों और बीमारियों से बचाव करता है। गिलोय में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में मुक्त कणों (फ्री रैडिकल्स) से लड़ते हैं और कोशिकाओं को नुकसान से बचाते हैं। इसके अलावा, गिलोय शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं (WBC) की संख्या को बढ़ाता है, जो बैक्टीरिया, वायरस और अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों से लड़ने में मदद करती हैं।
गिलोय का नियमित सेवन वायरल, बैक्टीरियल और फंगल संक्रमणों से बचाव करता है, खासकर बदलते मौसम में होने वाली बीमारियों जैसे सर्दी, खांसी, और बुखार से। यह शरीर की स्वाभाविक रक्षा प्रणाली को इतना मजबूत बना देता है कि आमतौर पर होने वाली बीमारियाँ कम हो जाती हैं।
इसके अलावा, गिलोय शरीर के विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है और रक्त को शुद्ध करता है, जिससे त्वचा संबंधी संक्रमण और एलर्जी जैसी समस्याएँ कम होती हैं। इसका सेवन कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के जोखिम को भी कम कर सकता है, क्योंकि यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और उसे सशक्त बनाता है।
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2. बुखार कम करना
गिलोय का उपयोग बुखार को कम करने के लिए विशेष रूप से किया जाता है, खासकर मलेरिया, डेंगू, और वायरल बुखार जैसी बीमारियों में। इसमें एंटीपीरेटिक (बुखार कम करने वाले) गुण होते हैं, जो शरीर के तापमान को नियंत्रित करते हैं और बुखार को जल्दी कम करने में मदद करते हैं। गिलोय के सेवन से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है, जिससे संक्रमणों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है।
गिलोय रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या को बढ़ाने में मदद करता है, जो डेंगू और अन्य वायरल बुखार के दौरान कम हो जाती हैं। इसका काढ़ा या रस पीने से बुखार और उसकी वजह से होने वाली थकान, कमजोरी, और शरीर में दर्द से राहत मिलती है।
इसके अलावा, गिलोय शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है और रक्त को शुद्ध करता है, जिससे संक्रमण जल्दी ठीक होता है। यह प्राकृतिक औषधि है, जो बिना किसी दुष्प्रभाव के बुखार को नियंत्रित करती है।
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3. डायबिटीज नियंत्रित करना
गिलोय का उपयोग डायबिटीज (मधुमेह) को नियंत्रित करने में बेहद प्रभावी माना जाता है, विशेष रूप से टाइप 2 डायबिटीज के रोगियों के लिए। इसमें हाइपोग्लाइसेमिक (रक्त शर्करा कम करने वाले) गुण होते हैं, जो रक्त में शर्करा के स्तर को संतुलित करने में मदद करते हैं। गिलोय इंसुलिन के उत्पादन को बढ़ावा देता है और शरीर में ग्लूकोज के उपयोग को बेहतर बनाता है, जिससे रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रित रहता है।
गिलोय का नियमित सेवन न केवल शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है, बल्कि इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में भी मदद करते हैं। डायबिटीज के रोगियों में ऑक्सीडेटिव तनाव से होने वाली जटिलताओं को रोकने के लिए गिलोय फायदेमंद होता है।
गिलोय का रस या काढ़ा नियमित रूप से पीने से मधुमेह की जटिलताएं, जैसे थकान, पाचन की समस्याएं, और कमजोरी में भी राहत मिलती है। यह एक प्राकृतिक उपाय है जो बिना किसी दुष्प्रभाव के मधुमेह को प्रबंधित करने में मदद करता है।
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4. पाचन सुधारना
गिलोय पाचन तंत्र के लिए अत्यंत लाभकारी है और विभिन्न पाचन संबंधी समस्याओं में मदद करता है। इसके नियमित सेवन से पाचन क्रिया मजबूत होती है और पेट की समस्याएँ, जैसे अपच, गैस, और कब्ज दूर होती हैं। गिलोय में प्राकृतिक एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो पाचन तंत्र में सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करके इसे स्वस्थ बनाए रखते हैं।
गिलोय का काढ़ा या रस पीने से पाचन एंजाइमों की सक्रियता बढ़ती है, जिससे भोजन का बेहतर तरीके से पाचन होता है। यह पेट में अम्लता (एसिडिटी) को नियंत्रित करता है और पेट की जलन और अल्सर जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है। इसके अलावा, गिलोय लीवर के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है, जो पाचन तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
गिलोय का सेवन विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में भी मदद करता है, जिससे पेट साफ रहता है और पाचन संबंधी विकारों से बचाव होता है।
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5. गठिया में लाभकारी
गिलोय गठिया (आर्थराइटिस) के रोगियों के लिए अत्यंत फायदेमंद है, क्योंकि इसमें शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो जोड़ों की सूजन और दर्द को कम करने में मदद करते हैं। गठिया में अक्सर जोड़ों में सूजन, कठोरता और दर्द की समस्या होती है, और गिलोय इन लक्षणों को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित करने में मदद करता है। यह शरीर में यूरिक एसिड के स्तर को कम करता है, जो विशेष रूप से गाउट (एक प्रकार का गठिया) के रोगियों के लिए महत्वपूर्ण है।
गिलोय का सेवन करने से जोड़ों की गतिशीलता बढ़ती है और सूजन कम होती है, जिससे गठिया के मरीजों को दर्द और अकड़न में राहत मिलती है। इसका उपयोग न केवल दर्द को कम करता है, बल्कि सूजन और अन्य सूजन-संबंधित विकारों को भी नियंत्रित करता है।
गिलोय का रस, काढ़ा या पाउडर के रूप में सेवन करने से गठिया के लक्षणों में सुधार देखा जा सकता है, और इसके नियमित सेवन से लंबे समय तक राहत मिलती है। यह प्राकृतिक और सुरक्षित विकल्प के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
6. त्वचा के लिए लाभकारी
गिलोय त्वचा के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत फायदेमंद है, क्योंकि इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण त्वचा को भीतर से साफ और स्वस्थ बनाए रखते हैं। गिलोय का नियमित सेवन रक्त को शुद्ध करता है, जिससे त्वचा से संबंधित समस्याएं, जैसे मुंहासे, फुंसियां, और एक्जिमा जैसी स्थितियों में सुधार होता है। गिलोय शरीर से विषाक्त पदार्थों (टॉक्सिन्स) को बाहर निकालता है, जो त्वचा की चमक और प्राकृतिक सुंदरता को बनाए रखने में मदद करता है।
गिलोय का उपयोग त्वचा पर सीधे भी किया जा सकता है। गिलोय पाउडर को गुलाब जल या पानी के साथ मिलाकर फेस पैक के रूप में लगाने से त्वचा की चमक बढ़ती है और दाग-धब्बे कम होते हैं। यह त्वचा की कोशिकाओं के नवीनीकरण में भी मदद करता है, जिससे त्वचा जवां और ताजगी भरी दिखती है।
इसके अलावा, गिलोय का उपयोग त्वचा संबंधी एलर्जी, खुजली और सूजन को कम करने के लिए भी किया जाता है, जो इसे एक प्राकृतिक सौंदर्य और चिकित्सा उपाय बनाता है।
7. मानसिक स्वास्थ्य
गिलोय मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है, क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट और एडाप्टोजेनिक गुण होते हैं जो तनाव और चिंता को कम करने में मदद करते हैं। गिलोय का नियमित सेवन मानसिक शांति प्रदान करता है, मस्तिष्क को शांत रखता है और तंत्रिका तंत्र को संतुलित करता है, जिससे तनाव, चिंता और डिप्रेशन जैसी समस्याओं में राहत मिलती है।
यह दिमागी थकान को कम करता है और मानसिक स्पष्टता (मेंटल क्लैरिटी) में सुधार करता है, जिससे स्मरण शक्ति और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ती है। गिलोय मानसिक थकान और अनिद्रा (नींद न आने) से जुड़ी समस्याओं में भी सहायक होता है।
गिलोय का उपयोग तंत्रिका तंत्र को मजबूती प्रदान करता है और तनावपूर्ण स्थितियों में मस्तिष्क को बेहतर तरीके से काम करने की क्षमता प्रदान करता है। यह मानसिक संतुलन बनाए रखने और व्यक्ति के संपूर्ण मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाने में मदद करता है, जिससे एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीने में सहायता मिलती है।
8. स्वास्थ्य सुधारक (डिटॉक्सिफ़ायर)
गिलोय शरीर के लिए एक प्राकृतिक डिटॉक्सिफ़ायर के रूप में काम करता है, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों (टॉक्सिन्स) को बाहर निकालने में मदद करता है और संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार करता है। गिलोय का नियमित सेवन रक्त को शुद्ध करता है, जिससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है और व्यक्ति को बीमारियों से लड़ने की बेहतर क्षमता मिलती है।
यह पाचन तंत्र को भी साफ करता है और लीवर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है, जिससे शरीर के भीतर जमा विषैले तत्वों को बाहर निकालने में आसानी होती है। गिलोय न केवल शरीर को डिटॉक्स करता है, बल्कि इससे त्वचा की चमक, ऊर्जा का स्तर, और संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार होता है।
इसके अलावा, गिलोय शरीर की थकान और कमजोरी को दूर करता है, जिससे व्यक्ति अधिक ऊर्जावान महसूस करता है। यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के साथ-साथ शरीर की संपूर्ण सफाई में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
गिलोय का इस्तेमाल कैसे करें?
गिलोय का इस्तेमाल विभिन्न रूपों में किया जा सकता है, जैसे जूस, पाउडर, कैप्सूल, या काढ़ा। गिलोय का ताजा रस और काढ़ा शरीर के लिए अधिक प्रभावी माना जाता है। यहाँ कुछ सामान्य तरीकों का विवरण दिया गया है जिससे गिलोय का इस्तेमाल किया जा सकता है:
- गिलोय का रस: गिलोय का ताजा रस शरीर की प्रतिरक्षा को बढ़ाने के लिए दिन में एक बार सेवन किया जा सकता है। इसके लिए गिलोय की ताजगी से भरी हुई डंठल को पानी में उबाल लें और उसे छानकर दिन में एक बार सेवन करें। इसे खाली पेट पीने से इसका प्रभाव अधिक होता है। रस को शहद या नींबू के साथ मिलाकर भी लिया जा सकता है, जो स्वाद को सुधारने में मदद करता है।
- गिलोय का काढ़ा: गिलोय का काढ़ा विशेष रूप से वायरल बुखार और सर्दी-खांसी जैसी समस्याओं के लिए उपयोगी होता है। इसके लिए गिलोय की ताजी डंठल, तुलसी के पत्ते, और अदरक को एक साथ पानी में उबालें और इसे छानकर दिन में एक या दो बार सेवन करें। यह काढ़ा बुखार कम करने और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है।
- गिलोय का पाउडर: गिलोय पाउडर का उपयोग भी किया जा सकता है। इसे एक गिलास गर्म पानी या दूध के साथ मिला कर सुबह-शाम सेवन किया जा सकता है। पाउडर को आसानी से बाजार से खरीदा जा सकता है और यह स्वास्थ्य सुधारने के लिए एक सरल तरीका है।
- गिलोय कैप्सूल: आजकल बाजार में गिलोय के कैप्सूल भी उपलब्ध होते हैं। जिन लोगों के पास गिलोय का ताजा पौधा नहीं है, वे कैप्सूल का उपयोग कर सकते हैं। इसे पानी के साथ नियमित रूप से सेवन करना चाहिए।
- त्वचा के लिए उपयोग: गिलोय का पेस्ट त्वचा रोगों में भी लाभकारी है। गिलोय पाउडर को पानी या गुलाब जल के साथ मिलाकर चेहरे पर लगाने से त्वचा पर होने वाले दाने और अन्य समस्याओं में राहत मिलती है।
- मधुमेह के लिए: डायबिटीज के रोगियों के लिए गिलोय बहुत उपयोगी है। गिलोय के रस का नियमित सेवन रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है। दिन में एक बार ताजे गिलोय का रस पीना डायबिटीज के प्रबंधन में मदद करता है।
निष्कर्ष:
गिलोय एक प्राकृतिक औषधि है जिसे विभिन्न तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकता है। चाहे काढ़े, रस, पाउडर या कैप्सूल के रूप में, इसके नियमित सेवन से शरीर को कई तरह के लाभ मिल सकते हैं।