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नागरमोथा के फायदे और उपयोग | 8 Nagarmotha Benefits in Hindi

नागरमोथा के फायदे और उपयोग | 8 Nagarmotha Benefits in Hindi

नागरमोथा (Cyperus rotundus), जिसे हिंदी में “मोथा” और संस्कृत में “मुसली” भी कहा जाता है, एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जो जमीनी स्तर पर उगती है। इसकी जड़ें औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं। ये भारत के खेतों और जंगलों में आमतौर पर पाई जाती है। नागरमोथा का उपयोग हज़ारों सालों से पाचन, त्वचा रोग, बुखार, और शरीर की सूजन को कम करने के लिए किया जाता रहा है। इसका स्वाद हल्का कड़वा होता है लेकिन इसके गुण बहुत असरदार होते हैं। आयुर्वेद में इसे ‘त्रिदोषहर’ माना गया है, यानी यह वात, पित्त और कफ – तीनों दोषों को संतुलित करता है। तो चलिए अब जानते है नागरमोथा के फायदे और उपयोग


नागरमोथा क्या है?

नागरमोथा एक आयुर्वेदिक औषधि है जो खासकर अपने पाचन सुधारक और शरीर को डिटॉक्स करने वाले गुणों के लिए जानी जाती है। इसका वैज्ञानिक नाम Cyperus rotundus है और यह एक प्रकार का घास जैसा पौधा होता है जो ज़मीन के नीचे कंद (जड़) के रूप में उगता है। इसे संस्कृत में “Mustaka”, हिंदी में “मोथा”, और आम भाषा में “नागरमोथा” कहा जाता है।

आयुर्वेद में नागरमोथा को त्रिदोषनाशक कहा गया है, यानी यह शरीर के तीनों दोष (वात, पित्त, कफ) को संतुलित करने में मदद करता है। इसका उपयोग खासकर भूख बढ़ाने, पाचन सुधारने, बुखार को कम करने, और त्वचा की समस्याओं में किया जाता है।

नागरमोथा की खुशबू तेज होती है और इसे पाउडर, तेल या काढ़ा के रूप में उपयोग किया जाता है। इसका स्वाद थोड़ा कसैला और तीखा होता है, लेकिन इसके औषधीय गुण इतने प्रभावशाली हैं कि स्वाद का ख्याल लोग नहीं रखते। आधुनिक रिसर्च में भी यह पाया गया है कि नागरमोथा में एंटीबैक्टीरियल, एंटीऑक्सीडेंट, और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण मौजूद हैं जो इसे एक बेहतरीन प्राकृतिक औषधि बनाते हैं।



नागरमोथा के 8 फायदे और उपयोग

1. पाचन तंत्र मजबूत करता है

नागरमोथा का सेवन अपच, गैस, और पेट दर्द में राहत देता है। यह पाचन रसों को उत्तेजित करता है।

2. भूख बढ़ाता है

भूख कम लगने की समस्या हो तो नागरमोथा का चूर्ण उपयोगी है।

3. त्वचा रोगों में लाभदायक

दाद, खुजली, एक्जिमा जैसी समस्याओं में नागरमोथा का पेस्ट या तेल उपयोग किया जाता है।

4. बुखार में राहत

यह शरीर का तापमान नियंत्रित करता है और वायरल या मौसमी बुखार में असरदार है।

5. मासिक धर्म की अनियमितता दूर करता है

महिलाओं में पीरियड्स के समय होने वाली असुविधा में इसका काढ़ा राहत देता है।

6. वजन घटाने में सहायक

यह शरीर की अतिरिक्त चर्बी को कम करने में मदद करता है, खासकर पेट की चर्बी पर।

7. डिटॉक्सिफिकेशन में सहायक

नागरमोथा शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है।

8. सिर दर्द और माइग्रेन में फायदेमंद

इसकी जड़ों से बना तेल सिर पर लगाने से सिरदर्द और माइग्रेन में राहत मिलती है।



नागरमोथा के नाम विभिन्न भाषाओं में

भाषानाम
हिंदी (Hindi)नागरमोथा, मोथा
संस्कृत (Sanskrit)मूसली (Musali), मुत्तिका (Muttika), कुंडलिका (Kundalika)
अंग्रेज़ी (English)Nut Grass, Cyperus rotundus
तमिल (Tamil)கெழுவை (Kezhuvai)
तेलुगु (Telugu)మోత (Motha)
कन्नड़ (Kannada)ನಳಗಿ (Nalagi)
मलयालम (Malayalam)മൂസലി (Musali)
बंगाली (Bengali)নাগরমোথা (Nagarmotha)
मराठी (Marathi)नागरमोथा, मोथा
गुजराती (Gujarati)નગરમોથા (Nagarmotha)
उर्दू (Urdu)ناگرموتھا

नागरमोथा के फायदे और उपयोग | 8 Nagarmotha Benefits in Hindi


1. पाचन तंत्र मजबूत करता है

नागरमोथा को आयुर्वेद में एक बेहतरीन पाचनवर्धक औषधि माना गया है। इसका सबसे बड़ा लाभ यही है कि यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और पाचन से जुड़ी लगभग सभी समस्याओं में राहत देता है। जब भी खाना पचाने में दिक्कत होती है – जैसे पेट में भारीपन, गैस बनना, अपच, खट्टी डकारें, कब्ज या भूख न लगना – तो नागरमोथा का सेवन बहुत कारगर साबित होता है।

इसमें ऐसे प्राकृतिक तत्व पाए जाते हैं जो जठराग्नि (Digestive Fire) को बढ़ाते हैं और आंतों में जमा हुए विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं। यह पाचन रसों के स्त्राव को बढ़ाकर खाना अच्छे से पचाने में सहायता करता है, जिससे शरीर को अधिक पोषण मिल पाता है।

इसके अलावा, नागरमोथा एक तरह से शरीर के डिटॉक्स का भी काम करता है। यह लीवर की कार्यक्षमता बढ़ाता है, जिससे पित्त संतुलित रहता है और पाचन बेहतर होता है। यदि आप अक्सर पेट से जुड़ी समस्याओं से परेशान रहते हैं तो नागरमोथा का चूर्ण गुनगुने पानी के साथ सुबह खाली पेट लेने से बहुत लाभ होता है।

इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता जब तक आप इसे सीमित मात्रा में लेते हैं।


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2. भूख बढ़ाता है

नागरमोथा का एक प्रमुख लाभ यह है कि यह शरीर में भूख बढ़ाने का काम करता है। अक्सर लोगों को भूख न लगना, खाना खाते समय मन न लगना या थोड़ी सी मात्रा में ही पेट भर जाने जैसा अनुभव होता है। यह समस्या पाचन तंत्र की कमजोरी, खराब जठराग्नि या मानसिक तनाव के कारण हो सकती है। ऐसे में नागरमोथा का सेवन एक प्राकृतिक उपाय है जो भूख को धीरे-धीरे सामान्य कर देता है।

नागरमोथा जठराग्नि (digestive fire) को सक्रिय करता है, जिससे पाचन रस अधिक मात्रा में बनते हैं और भूख लगने की प्रक्रिया स्वाभाविक हो जाती है। यह विशेष रूप से उन बच्चों और बुज़ुर्गों के लिए फायदेमंद है जिन्हें अक्सर भूख नहीं लगती।

इसे चूर्ण के रूप में शहद या गुनगुने पानी के साथ लेने से न सिर्फ भूख बढ़ती है, बल्कि खाना पचने की क्षमता भी बेहतर होती है। यह एक सौम्य लेकिन असरदार उपाय है।


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3. त्वचा रोगों में लाभदायक

नागरमोथा त्वचा से जुड़ी कई समस्याओं में बेहद लाभदायक मानी जाती है। इसमें प्राकृतिक एंटीबैक्टीरियल और एंटीइंफ्लेमेटरी (सूजन कम करने वाले) गुण होते हैं, जो त्वचा पर होने वाले संक्रमणों, खुजली, फुंसियां, दाद, और एक्जिमा जैसी समस्याओं को ठीक करने में मदद करते हैं।

नागरमोथा का चूर्ण गुलाब जल या एलोवेरा जेल में मिलाकर प्रभावित स्थान पर लेप करने से त्वचा की जलन कम होती है और धीरे-धीरे दाग-धब्बे भी हल्के होने लगते हैं। यह त्वचा की गहराई से सफाई करता है और मृत कोशिकाओं को हटाकर नई त्वचा को उभरने में सहायता करता है।

इसके अलावा, नागरमोथा तेल को नारियल या तिल के तेल में मिलाकर त्वचा पर लगाने से संक्रमण रुकता है और त्वचा को ठंडक मिलती है। जिन लोगों को बार-बार स्किन एलर्जी या खुजली होती है, उनके लिए यह एक नेचुरल और असरदार इलाज है – बिना किसी साइड इफेक्ट के।


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4. बुखार में राहत

नागरमोथा को आयुर्वेद में “ज्वरनाशक” यानी बुखार को कम करने वाली औषधि के रूप में जाना जाता है। इसके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और वायरल, मलेरियल या मौसमी बुखार में आराम मिलता है। यह शरीर में जमा हुए आम (toxins) को बाहर निकालता है, जो अक्सर बुखार का कारण बनते हैं।

नागरमोथा का काढ़ा शरीर के तापमान को संतुलित करता है और ठंडक पहुंचाता है। यह पसीना लाने में मदद करता है, जिससे शरीर का तापमान प्राकृतिक रूप से घटता है। इसके अलावा यह थकावट, कमजोरी और सिरदर्द जैसे बुखार से जुड़े लक्षणों को भी कम करता है।

बुखार के दौरान 1 चम्मच नागरमोथा चूर्ण को पानी में उबालकर दिन में 2 बार पिलाने से लाभ मिलता है। यह घरेलू नुस्खा बच्चों और बुज़ुर्गों के लिए भी सुरक्षित माना जाता है (डॉक्टर की सलाह के साथ)। यह एक प्रभावशाली प्राकृतिक उपचार है।


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5. मासिक धर्म की अनियमितता दूर करता है

नागरमोथा महिलाओं के लिए एक अत्यंत लाभकारी जड़ी-बूटी है, खासकर मासिक धर्म (पीरियड्स) से जुड़ी समस्याओं में। जब periods समय पर न आएं, बहुत कम या ज़्यादा मात्रा में हों, अत्यधिक दर्द हो, या मानसिक चिड़चिड़ापन बना रहे – तो ये सभी लक्षण हार्मोनल असंतुलन और पाचन से जुड़े होते हैं। नागरमोथा इन दोनों को संतुलित करता है।

यह रक्त संचार को सुचारू करता है और गर्भाशय की कार्यक्षमता को बेहतर बनाता है, जिससे मासिक धर्म नियमित होने लगता है। इसके अलावा यह शरीर की सूजन और ऐंठन को भी कम करता है, जिससे पीरियड्स के दौरान होने वाला दर्द राहत पाता है।

आयुर्वेद में इसे अशोक की छाल, लोध्र और त्रिफला के साथ मिलाकर उपयोग करने की सलाह दी जाती है। 1 चम्मच नागरमोथा चूर्ण को गुनगुने पानी या शहद के साथ दिन में एक बार लेना लाभकारी होता है (वैद्य की सलाह अनुसार)।


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6. वजन घटाने में सहायक

नागरमोथा एक प्रभावशाली आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जो वजन घटाने की प्रक्रिया को प्राकृतिक रूप से तेज़ करती है। इसका मुख्य कारण है कि यह शरीर के मेटाबॉलिज्म को सुधारती है और पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है। जब मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है, तो शरीर फैट को जल्दी बर्न करने लगता है।

नागरमोथा विशेष रूप से पेट और कमर की चर्बी को कम करने में मददगार मानी जाती है। यह भूख को संतुलित करता है – न ज़्यादा, न बहुत कम – जिससे ओवरईटिंग की आदतें खुद-ब-खुद नियंत्रित हो जाती हैं। इसके साथ ही यह शरीर में जमा विषाक्त तत्वों (toxins) को बाहर निकालने में भी सहायक है, जो मोटापे का एक बड़ा कारण होते हैं।

वजन घटाने के लिए रोज़ सुबह खाली पेट 1 चम्मच नागरमोथा चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ लेने की सलाह दी जाती है। इसे त्रिफला या गुग्गुलु के साथ मिलाकर भी लिया जा सकता है, जिससे इसका असर और बढ़ जाता है।


7. डिटॉक्सिफिकेशन में सहायक

नागरमोथा एक बेहतरीन प्राकृतिक डिटॉक्सिफायर है, जो शरीर को भीतर से शुद्ध करने का काम करता है। आज के समय में गलत खानपान, तनाव और प्रदूषण की वजह से शरीर में टॉक्सिन्स यानी विषैले तत्व जमा हो जाते हैं, जो धीरे-धीरे बीमारियों का कारण बनते हैं। नागरमोथा इन टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है।

इसमें मौजूद प्राकृतिक यौगिक लिवर और किडनी की कार्यक्षमता को बढ़ाते हैं, जिससे शरीर का शुद्धिकरण बेहतर ढंग से होता है। यह पाचन तंत्र को साफ करता है, मल विसर्जन को नियमित बनाता है, और ब्लड प्यूरिफिकेशन में भी सहायक होता है।

नागरमोथा चूर्ण को गर्म पानी या नींबू-शहद के साथ मिलाकर सुबह खाली पेट लेने से शरीर को गहराई से डिटॉक्स किया जा सकता है। यह ऊर्जा बढ़ाता है, त्वचा में निखार लाता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है। नियमित उपयोग से शरीर हल्का और तरोताज़ा महसूस करता है।


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नागरमोथा का उपयोग कैसे करें?

नागरमोथा का उपयोग कई रूपों में किया जाता है – पाउडर, तेल, काढ़ा, और लेप। इसका सही उपयोग आपके शरीर की जरूरतों और समस्या के अनुसार करना चाहिए।

1. नागरमोथा चूर्ण (पाउडर) का सेवन:

  • रोज़ाना 1 से 3 ग्राम नागरमोथा चूर्ण को शहद या गुनगुने पानी के साथ सुबह खाली पेट लें।
  • यह पाचन शक्ति को बढ़ाता है और भूख में सुधार करता है।
  • गैस, अपच और वजन घटाने के लिए यह फार्म सबसे अधिक उपयोगी है।

2. नागरमोथा का काढ़ा (Decoction):

  • 1 चम्मच नागरमोथा चूर्ण को 2 कप पानी में डालकर आधा रहने तक उबालें।
  • इसे छानकर सुबह और शाम पीएं।
  • यह बुखार, पीरियड्स की समस्या और शरीर की सूजन में असरदार है।

3. नागरमोथा तेल का उपयोग:

  • सिर दर्द या माइग्रेन में इसके तेल से सिर की मालिश करें।
  • त्वचा रोगों में नागरमोथा तेल को नारियल तेल के साथ मिलाकर प्रभावित हिस्से पर लगाएं।
  • बालों में रूसी हो तो इसे नीम तेल में मिलाकर सिर पर लगाएं।

4. त्वचा के लिए लेप:

  • नागरमोथा चूर्ण को गुलाबजल या एलोवेरा जेल में मिलाकर लेप बनाएं।
  • एक्जिमा, फोड़े-फुंसी, दाद आदि पर दिन में दो बार लगाएं।

5. महिलाओं के लिए विशेष उपयोग:

  • पीरियड्स की अनियमितता, सफेद पानी या दर्द में नागरमोथा और अशोकारिष्ट का संयुक्त सेवन लाभदायक होता है (डॉक्टर से सलाह लेकर ही उपयोग करें)।

सावधानी:

  • गर्भवती महिलाएं और बच्चों को बिना वैद्य या डॉक्टर की सलाह के इसका सेवन नहीं कराना चाहिए।
  • अधिक मात्रा में लेने से कब्ज हो सकता है।

FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

Q1. क्या नागरमोथा रोज़ खा सकते हैं?
हाँ, लेकिन सीमित मात्रा में – लगभग 1-3 ग्राम रोज़।

Q2. क्या यह वजन घटाने में असरदार है?
हाँ, नागरमोथा शरीर की अतिरिक्त चर्बी को कम करने में मदद करता है।

Q3. क्या नागरमोथा का तेल बालों में इस्तेमाल किया जा सकता है?
बिलकुल, यह बालों की जड़ें मज़बूत करता है और डैंड्रफ को कम करता है।

Q4. क्या बच्चों को नागरमोथा दे सकते हैं?
छोटे बच्चों को देने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूरी है।



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