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वेटिवर जड़ | खस की जड़ के 9 फायदे | Khus Root Benefits in Hindi

वेटिवर जड़ | खस की जड़ के 9 फायदे | Khus Root Benefits in Hindi

वेटिवर जड़, जिसे खस की जड़ भी कहा जाता है, एक सुगंधित घास की जड़ है जो विशेष रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाती है। इसका वैज्ञानिक नाम Chrysopogon zizanioides है। खस की जड़ का उपयोग प्राचीन काल से ही सुगंधित तेल, इत्र, और आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता रहा है। इसकी ठंडी तासीर और विशिष्ट सुगंध के कारण इसे गर्मियों में विशेष रूप से इस्तेमाल किया जाता है। वेटिवर जड़ का मुख्य उपयोग ठंडक प्रदान करने, त्वचा के रोगों के उपचार, और मानसिक शांति के लिए होता है। [ Khus Root Benefits in Hindi ]


वेटिवर जड़ (खस की जड़) क्या है?

वेटिवर जड़, जिसे हिंदी में खस की जड़ कहते हैं, एक प्रकार की घास की जड़ है जो मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाती है। इसका पौधा लगभग 5 फीट लंबा होता है और इसकी जड़ें गहराई तक जमीन में फैली होती हैं। यह जड़ अपनी विशिष्ट सुगंध के लिए जानी जाती है और इसका उपयोग कई उद्देश्यों के लिए किया जाता है। खस की जड़ से वेटिवर तेल निकाला जाता है, जो सुगंधित उद्योग में एक महत्वपूर्ण घटक है। इसके अलावा, इस जड़ का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी किया जाता है, क्योंकि इसमें कई औषधीय गुण होते हैं।

खस की जड़ की ठंडी तासीर के कारण इसे गर्मियों में विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है। इसे पानी में डालकर ठंडा पेय बनाया जाता है, जो शरीर को ठंडक और ताजगी प्रदान करता है। इसके अलावा, इसकी सुगंधित विशेषताओं के कारण इसे इत्र, साबुन, और अगरबत्ती में भी प्रयोग किया जाता है। खस की जड़ का प्रयोग मानसिक तनाव को दूर करने, त्वचा की समस्याओं को ठीक करने, और रक्त संचार को बढ़ाने के लिए किया जाता है। वेटिवर की जड़ें पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, क्योंकि यह मिट्टी को कटाव से बचाने में मदद करती है।



खस की जड़ के विभिन्न भारतीय भाषाओं में नाम | Names of khus root in different Indian languages

खस की जड़ (वेटिवर जड़) को विभिन्न भारतीय भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। यहाँ कुछ प्रमुख भाषाओं में इसके नाम दिए गए हैं:

  1. हिंदी: खस की जड़
  2. संस्कृत: कुशा (कुशा) या वेटिवर (वेटिवर)
  3. तमिल: कश कश (கச கச)
  4. तेलुगु: कस कसा (కస కస)
  5. कन्नड़: कस (ಕಸ್)
  6. मराठी: कश कश (कश कश)
  7. बंगाली: खस (খাস)
  8. गुजराती: खस (ખસ)
  9. उर्दू: खस (خشخاش)

ये नाम क्षेत्रीय भाषाओं और स्थानीय प्रयोग के आधार पर भिन्न हो सकते हैं, लेकिन सभी में खस की जड़ के उपयोग और महत्व को समझा जा सकता है।


वेटिवर जड़ (खस की जड़) के 9 फायदे | Khus Root Benefits in Hindi


1. खस की जड़ का ठंडक प्रदान करने का लाभ

वेटिवर जड़, जिसे खस की जड़ भी कहा जाता है, का सबसे प्रमुख लाभ इसकी प्राकृतिक ठंडक प्रदान करने की क्षमता है। यह जड़ विशेष रूप से गर्मियों में अत्यधिक प्रभावी होती है, जब शरीर को आंतरिक और बाहरी रूप से ठंडक की आवश्यकता होती है। खस की जड़ में मौजूद शीतल गुण शरीर की गर्मी को कम करने में मदद करते हैं, जिससे शरीर को ठंडक और ताजगी मिलती है। इसका उपयोग आमतौर पर गर्मियों में ठंडे पेय के रूप में किया जाता है।

खस की जड़ को पानी में भिगोकर उसका अर्क तैयार किया जाता है, जो एक प्राकृतिक कूलर के रूप में कार्य करता है। इस पानी को पीने से न केवल शरीर की गर्मी कम होती है, बल्कि यह लू लगने से भी बचाता है। इसके अलावा, खस की जड़ का प्रयोग ठंडक प्रदान करने वाले स्नान में भी किया जाता है। इसे स्नान के पानी में डालने से शरीर की त्वचा को ठंडक मिलती है और पूरे दिन की थकान से राहत मिलती है।

यह जड़ सिर्फ शारीरिक रूप से ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी ठंडक प्रदान करती है। इसकी सुगंध मानसिक तनाव और चिंता को कम करने में सहायक होती है, जिससे मन शांत और स्थिर रहता है।


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2. खस की जड़ से मानसिक शांति का लाभ

खस की जड़ मानसिक शांति प्रदान करने में अत्यधिक प्रभावी है। इसकी प्राकृतिक सुगंध और शीतलता से मन और मस्तिष्क को आराम मिलता है, जिससे तनाव और चिंता कम होती है। वेटिवर के शीतल और शांत प्रभाव के कारण, यह जड़ विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी होती है, जो मानसिक तनाव या बेचैनी से गुजर रहे हैं।

इसकी सुगंध मस्तिष्क में सीधा असर डालती है, जिससे नर्वस सिस्टम को आराम मिलता है और मन शांत होता है। इसलिए इसे अक्सर अरोमाथेरेपी में उपयोग किया जाता है, जहां इसका तेल या धूपबत्ती के रूप में उपयोग करके मानसिक शांति प्राप्त की जाती है। वेटिवर जड़ का यह गुण अनिद्रा और चिंता से पीड़ित लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है, क्योंकि यह नींद को बेहतर बनाता है और मानसिक तनाव को दूर करता है।


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3. वेटिवर जड़ (खस की जड़) से त्वचा की देखभाल का लाभ

वेटिवर जड़ त्वचा की देखभाल के लिए अत्यंत फायदेमंद होती है। इसके एंटीसेप्टिक और एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों के कारण, यह त्वचा की कई समस्याओं को दूर करने में सहायक है। वेटिवर जड़ का उपयोग त्वचा की सूजन, जलन, दाग-धब्बों, और खुजली जैसी समस्याओं के उपचार में किया जाता है।

वेटिवर का तेल, जो खस की जड़ से निकाला जाता है, त्वचा को गहराई से मॉइस्चराइज करता है और त्वचा की नमी को बनाए रखता है। इसका नियमित उपयोग त्वचा की टोन को सुधारता है और उसे स्वस्थ बनाता है। यह विशेष रूप से शुष्क और रूखी त्वचा के लिए फायदेमंद है, क्योंकि यह त्वचा को पोषण देकर उसकी नमी को बनाए रखने में मदद करता है। इसके अलावा, वेटिवर के ठंडक देने वाले गुण त्वचा को शीतलता प्रदान करते हैं, जिससे गर्मियों में त्वचा की समस्याओं से राहत मिलती है।

खस की जड़ का पेस्ट बनाकर इसे फेस पैक के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है, जो त्वचा की गहराई से सफाई करता है और उसे चमकदार बनाता है। इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण त्वचा को हानिकारक प्रभावों से बचाते हैं और उम्र बढ़ने के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं। यह प्राकृतिक रूप से त्वचा की समस्याओं का समाधान प्रदान करता है, जिससे त्वचा स्वस्थ, स्वच्छ और सुंदर बनी रहती है।


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4. खस की जड़ से रक्त संचार में सुधार का लाभ

खस की जड़ का एक महत्वपूर्ण लाभ यह है कि यह रक्त संचार में सुधार करती है। खस की जड़ में मौजूद प्राकृतिक गुण रक्त वाहिकाओं को विस्तारित करने और संचार तंत्र को सुदृढ़ बनाने में सहायक होते हैं। जब रक्त का प्रवाह सुचारू रूप से होता है, तो शरीर के विभिन्न अंगों को ऑक्सीजन और पोषक तत्व अधिक प्रभावी ढंग से पहुंचते हैं, जिससे संपूर्ण शरीर की कार्यक्षमता बढ़ जाती है।

वेटिवर का तेल, जिसे खस की जड़ से निकाला जाता है, का उपयोग अक्सर मालिश में किया जाता है। इस तेल की मालिश से रक्त संचार को उत्तेजना मिलती है, जिससे मांसपेशियों में खिंचाव कम होता है और थकान दूर होती है। नियमित रूप से वेटिवर के तेल की मालिश करने से नसों की कमजोरी और रक्त प्रवाह में आने वाले अवरोध दूर होते हैं, जिससे शरीर को ऊर्जा मिलती है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

इसके अलावा, वेटिवर जड़ के एंटीइंफ्लेमेटरी गुण सूजन को कम करने में मदद करते हैं, जो कि सामान्यत: रक्त संचार की समस्याओं से जुड़ी होती है। इसके ठंडे और शीतल प्रभाव से शरीर की जलन और सूजन में कमी आती है, जिससे रक्त का प्रवाह बेहतर होता है। इस प्रकार, वेटिवर जड़ का नियमित उपयोग हृदय संबंधी स्वास्थ्य को सुधारने में भी मदद कर सकता है, जिससे उच्च रक्तचाप और अन्य संबंधित समस्याओं में राहत मिलती है।


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5. खस की जड़ से प्राकृतिक डिओडरेंट का लाभ

वेटिवर जड़, जिसे खस की जड़ के नाम से भी जाना जाता है, एक उत्कृष्ट प्राकृतिक डिओडरेंट के रूप में काम करती है। इसकी ताजगी भरी और मिट्टी की खुशबू शरीर से आने वाली दुर्गंध को दूर करने में प्रभावी होती है, जिससे यह एक प्राकृतिक विकल्प के रूप में लोकप्रिय है। वेटिवर के एंटीबैक्टीरियल गुण पसीने में मौजूद बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद करते हैं, जो शरीर की दुर्गंध का मुख्य कारण होते हैं।

इसकी सुगंध इतनी प्रभावी होती है कि यह पूरे दिन ताजगी बनाए रखने में मदद करती है। पारंपरिक डिओडरेंट्स में उपयोग होने वाले रसायनों से बचने के लिए वेटिवर जड़ एक सुरक्षित और प्राकृतिक विकल्प है। इसे विभिन्न रूपों में उपयोग किया जा सकता है, जैसे कि वेटिवर का तेल, पाउडर, या वेटिवर से बने साबुन और बॉडी मिस्ट। इनका नियमित उपयोग न केवल दुर्गंध को दूर करता है, बल्कि त्वचा को भी पोषण प्रदान करता है।

वेटिवर का तेल अक्सर सुगंधित उत्पादों में मिलाया जाता है, जो न केवल शरीर को सुगंधित रखता है बल्कि इसके शीतल प्रभाव के कारण शरीर को ठंडक भी प्रदान करता है। इसे डिओडरेंट के रूप में उपयोग करने के लिए, आप वेटिवर के तेल को नारियल या जोजोबा तेल के साथ मिलाकर त्वचा पर लगा सकते हैं। इसका यह मिश्रण त्वचा को मॉइस्चराइज भी करता है, जिससे त्वचा कोमल और स्वस्थ बनी रहती है। इस प्रकार, वेटिवर जड़ से बना प्राकृतिक डिओडरेंट शरीर को ताजगी, ठंडक, और सुखद सुगंध प्रदान करने में सहायक होता है।


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6. खस की जड़ से मिट्टी के संरक्षण का लाभ

वेटिवर जड़ मिट्टी के संरक्षण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वेटिवर का पौधा एक गहरी और घनी जड़ प्रणाली विकसित करता है, जो मिट्टी को मजबूती से पकड़कर उसे कटाव से बचाने में सहायक होता है। इसकी जड़ें 3 से 4 मीटर तक गहराई में जा सकती हैं, जिससे यह मिट्टी की ऊपरी परत को स्थिर करती है और पानी के बहाव को नियंत्रित करती है।

मिट्टी का कटाव विशेष रूप से उन क्षेत्रों में एक गंभीर समस्या होती है, जहां बारिश अधिक होती है या भूमि ढलान पर होती है। वेटिवर की जड़ें इस समस्या का समाधान प्रदान करती हैं, क्योंकि वे मिट्टी के कणों को बांधकर रखने में सक्षम होती हैं, जिससे बारिश के दौरान मिट्टी का बहाव कम होता है। इसके अलावा, वेटिवर जड़ें पानी को अवशोषित करने की क्षमता रखती हैं, जिससे भूमि में नमी बनी रहती है और सूखे के दौरान भी फसलें सुरक्षित रहती हैं।

वेटिवर की जड़ें सिर्फ मिट्टी के कटाव को रोकने में ही नहीं, बल्कि भूमि की उर्वरता को बढ़ाने में भी मदद करती हैं। ये जड़ें मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा को बढ़ाती हैं, जिससे मिट्टी की संरचना में सुधार होता है और कृषि उत्पादकता में वृद्धि होती है। इसके अलावा, वेटिवर की जड़ों का उपयोग विभिन्न पर्यावरणीय परियोजनाओं में भी किया जाता है, जैसे कि नदी तटों, सड़कों के किनारों, और खदान क्षेत्रों में मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए।

इस प्रकार, वेटिवर जड़ न केवल मिट्टी के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, बल्कि यह पर्यावरणीय स्थिरता को भी बढ़ावा देती है। इसकी जड़ प्रणाली न सिर्फ मिट्टी की सुरक्षा करती है, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए लाभकारी होती है, जिससे यह कृषि और पर्यावरण दोनों के लिए एक अमूल्य संसाधन बन जाती है।


7. वेटिवर जड़ से माइग्रेन में राहत

खस की जड़ माइग्रेन और सिरदर्द से राहत देने में अत्यंत प्रभावी साबित हो सकती है। माइग्रेन के दौरान सिर में तीव्र दर्द, उलटी, और अन्य असुविधाजनक लक्षण हो सकते हैं, जो व्यक्ति की जीवनशैली को प्रभावित करते हैं। वेटिवर जड़ की शीतल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण इन लक्षणों को कम करने में सहायक होते हैं।

वेटिवर के तेल की सुगंध और ठंडक देने वाले गुण मस्तिष्क के तनाव को कम करने में मदद करते हैं। इसके तेल की मालिश सिर और गर्दन पर करने से नर्वस सिस्टम को शांत किया जा सकता है, जिससे माइग्रेन का दर्द कम होता है। वेटिवर का तेल सुगंधित होने के साथ-साथ मानसिक शांति प्रदान करता है, जो माइग्रेन के दर्द को कम करने में सहायक होता है।

इसके अलावा, वेटिवर जड़ के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सिर की मांसपेशियों में सूजन को कम करने में मदद करते हैं, जो अक्सर माइग्रेन के कारण होता है। यह जड़ तनाव और चिंता को भी कम करती है, जो माइग्रेन के प्रकोप को बढ़ा सकती हैं।

इसके उपयोग के लिए, वेटिवर के तेल को थोड़ी मात्रा में नारियल या जोजोबा तेल के साथ मिलाकर सिर की मालिश की जा सकती है। इसके अलावा, वेटिवर जड़ के पानी को पीने से भी सिरदर्द और माइग्रेन की समस्या में राहत मिल सकती है। इस प्रकार, वेटिवर जड़ का नियमित उपयोग माइग्रेन से राहत पाने में सहायक हो सकता है, और यह एक प्राकृतिक उपचार के रूप में कार्य करता है।


8. वेटिवर जड़ से घाव भरने में मददगार

वेटिवर जड़ घावों के भरने में एक प्रभावी प्राकृतिक उपचार के रूप में जानी जाती है। इसके एंटीसेप्टिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण घावों को जल्दी ठीक करने में सहायक होते हैं। वेटिवर जड़ में मौजूद सक्रिय यौगिक त्वचा की मरम्मत प्रक्रिया को तेजी से प्रोत्साहित करते हैं, जिससे घाव जल्दी भरते हैं और संक्रमण का खतरा कम होता है।

जब वेटिवर जड़ का तेल सीधे घाव पर लगाया जाता है, तो यह तेल घाव के क्षेत्र में एक एंटीसेप्टिक परत प्रदान करता है, जो संक्रमण से बचाती है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सूजन को कम करते हैं और दर्द को भी राहत प्रदान करते हैं। यह जड़ घाव की त्वचा को गहराई से पोषण देती है, जिससे नई त्वचा का निर्माण तेजी से होता है और घाव भरने की प्रक्रिया सुचारू रहती है।

वेटिवर जड़ का उपयोग न केवल बाहरी घावों के लिए, बल्कि जलने की चोटों और अन्य त्वचा संबंधित समस्याओं के लिए भी किया जा सकता है। इसके तेल को त्वचा पर लगाने से त्वचा की सूजन और जलन में राहत मिलती है, और घाव की भरपाई प्रक्रिया को तेज किया जा सकता है।

इसके अलावा, वेटिवर जड़ का पाउडर भी घाव पर छिड़क कर उपयोग किया जा सकता है, जो घाव को सूखा रखता है और संक्रमण को रोकता है। इसके उपयोग से त्वचा के प्राकृतिक इलाज को बढ़ावा मिलता है और जल्दी ठीक होने में सहायता होती है। इस प्रकार, वेटिवर जड़ एक प्रभावी और प्राकृतिक उपचार के रूप में घाव भरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।


9. वेटिवर जड़ (खस की जड़) से पाचन में सुधार

खस की जड़ पाचन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक होती है। इसके शीतल और कैरमेटिव गुण पाचन तंत्र को सुकून और आराम प्रदान करते हैं, जिससे पाचन समस्याओं में सुधार होता है। वेटिवर जड़ का उपयोग मुख्य रूप से पाचन की समस्याओं जैसे एसिडिटी, गैस, और पेट दर्द को नियंत्रित करने में किया जाता है।

वेटिवर जड़ का पानी पीने से पाचन तंत्र को ठंडक और राहत मिलती है। इसका प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पेट की सूजन और जलन को कम करते हैं, जिससे पाचन प्रक्रिया सुचारू रहती है। यह जड़ अपच और गैस्ट्रिक समस्याओं से राहत देने में भी सहायक है, क्योंकि यह पेट की मांसपेशियों को आराम देती है और गैस की समस्या को नियंत्रित करती है।

इसके अलावा, वेटिवर जड़ के सेवन से अपच और उलटी की समस्याओं में भी राहत मिलती है। इसका पानी या अर्क पाचन एंजाइमों के कार्य को उत्तेजित करता है, जिससे भोजन को आसानी से पचाने में मदद मिलती है। वेटिवर का नियमित उपयोग पाचन तंत्र को स्वस्थ और संतुलित बनाए रखने में सहायक हो सकता है।

वेटिवर जड़ का पाउडर या उबालकर बनाया गया अर्क, जिसे ठंडा करके पीया जा सकता है, विशेष रूप से लाभकारी होता है। इसका सेवन करने से शरीर को न केवल पाचन संबंधी समस्याओं से राहत मिलती है, बल्कि समग्र स्वास्थ्य में भी सुधार होता है। इस प्रकार, वेटिवर जड़ पाचन स्वास्थ्य को सुधारने के लिए एक प्राकृतिक और प्रभावी उपाय है।


वेटिवर जड़ (खस की जड़) का इस्तेमाल कैसे करें?

1. ठंडक के लिए पेय: वेटिवर जड़ का उपयोग ठंडक प्रदान करने वाले पेय के रूप में किया जा सकता है। इसके लिए खस की जड़ों को साफ पानी में डालकर कुछ घंटों के लिए भिगो दें। फिर इस पानी को छानकर पी सकते हैं, जिससे गर्मियों में ठंडक मिलती है और शरीर में ताजगी बनी रहती है।

2. सुगंधित स्नान: खस की जड़ का उपयोग स्नान के लिए भी किया जा सकता है। इसके लिए एक साफ कपड़े में खस की जड़ें बांधकर उसे स्नान के पानी में डुबो दें। इससे पानी में सुगंधित गुण आ जाएंगे, जो त्वचा को ठंडक और ताजगी प्रदान करेंगे। यह विशेष रूप से गर्मियों में लाभकारी होता है और त्वचा को शीतलता प्रदान करता है।

3. त्वचा की देखभाल: खस की जड़ का पाउडर बनाकर उसे फेस पैक या बॉडी स्क्रब में मिलाया जा सकता है। यह त्वचा की सफाई, टोनिंग और मॉइस्चराइजिंग के लिए फायदेमंद होता है। इससे त्वचा की जलन, सूजन और दाग-धब्बों में कमी आती है।

4. वातावरण शुद्धिकरण: खस की जड़ का उपयोग वातावरण को शुद्ध करने और सुगंधित बनाने के लिए किया जा सकता है। इसे घर के कोनों में या अलमारियों में रखा जा सकता है। इसकी प्राकृतिक सुगंध वातावरण को ताजगी देती है और कीटाणुओं को दूर रखती है।

5. घर की सजावट: खस की जड़ का उपयोग घर की सजावट के लिए किया जा सकता है। इसे दरवाजों या खिड़कियों के पर्दों में बांधकर रखा जा सकता है, जिससे घर में प्राकृतिक सुगंध बनी रहती है। इससे घर का माहौल शांतिपूर्ण और सुखदायक होता है।

6. आयुर्वेदिक चिकित्सा: वेटिवर जड़ का उपयोग आयुर्वेदिक उपचारों में भी किया जाता है। इसका तेल सिरदर्द, तनाव और अनिद्रा में राहत देने के लिए सिर की मालिश में किया जाता है। इसके अलावा, यह शरीर की ऊर्जा को संतुलित करने और रक्त संचार को सुधारने में भी सहायक होता है।

7. डिओडरेंट के रूप में: खस की जड़ को पाउडर बनाकर इसे प्राकृतिक डिओडरेंट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे शरीर पर लगाने से पसीने की बदबू दूर होती है और पूरे दिन ताजगी महसूस होती है।

8. मिट्टी का संरक्षण: अगर आपके पास बगीचा है, तो खस की जड़ का पौधा लगाने से मिट्टी के कटाव को रोका जा सकता है। इसकी जड़ें गहरी होती हैं, जो मिट्टी को बांधकर रखने में मदद करती हैं और पानी के बहाव को नियंत्रित करती हैं।

9. आभ्यंतर उपचार: वेटिवर जड़ का सेवन करने से पाचन शक्ति में सुधार होता है। इसका पाउडर या जल विभिन्न पाचन संबंधी समस्याओं जैसे कि एसिडिटी, गैस और पेट दर्द में लाभकारी होता है।



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