पिप्पली के फायदे
क्या आपको पता है कि पिप्पली (Long pepper) क्या चीज है? उम्मीद है कि आप इसके बारे में बिल्कुल नहीं जानते होंगे, क्योंकि अधिकांश लोगों को पिप्पली के बारे में जानकारी ही नहीं है। पिप्पली, जिसे हिंदी में पीपल या पिप्पली कहा जाता है, एक औषधीय पौधा है जिसका उपयोग प्राचीन समय से आयुर्वेदिक चिकित्सा में होता आ रहा है।
पिप्पली के बारे में जानना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक ऐसी जड़ी-बूटी है जो कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती है। पतंजलि के अनुसार, पिप्पली का उपयोग करके आप एक-दो या तीन नहीं बल्कि अनेक रोगों का इलाज कर सकते हैं। यह जड़ी-बूटी अपने अद्वितीय गुणों के कारण आयुर्वेद में विशेष स्थान रखती है।
पिप्पली का उपयोग विभिन्न प्रकार के रोगों के इलाज में किया जाता है। इसका उपयोग खासकर पाचन तंत्र को मजबूत बनाने, श्वसन संबंधी समस्याओं को दूर करने और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है। इसके अलावा, यह जड़ी-बूटी जुकाम, खांसी, अस्थमा, और पेट की बीमारियों में भी अत्यंत लाभकारी होती है।
पिप्पली का सेवन पाउडर, तेल या फिर काढ़े के रूप में किया जा सकता है। इसका नियमित सेवन शरीर को मजबूत बनाता है और कई बीमारियों से बचाव करता है। इसलिए, पिप्पली को अपनी दिनचर्या में शामिल करना एक स्वस्थ और निरोगी जीवन के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है।
पिप्पली क्या है?
पिप्पली एक महत्वपूर्ण जड़ी-बूटी है जो आयुर्वेद में विशेष स्थान रखती है। आयुर्वेद में पिप्पली की चार प्रजातियों के बारे में बताया गया है, लेकिन सामान्यतः व्यवहार में छोटी और बड़ी, इन दो प्रकार की पिप्पली ही देखने को मिलती हैं। पिप्पली की लता भूमि पर फैलती है और यह एक सुगन्धित पौधा होता है।
पिप्पली की जड़ लकड़ी जैसी, कड़ी, भारी और श्यामल रंग की होती है। जब आप इसे तोड़ते हैं, तो यह अंदर से सफेद रंग की होती है। इसका स्वाद तीखा होता है, जो इसे विभिन्न औषधीय उपयोगों के लिए आदर्श बनाता है। पिप्पली के इन विशिष्ट गुणों के कारण इसे विभिन्न प्रकार की चिकित्सा प्रक्रियाओं में उपयोग किया जाता है।
पिप्पली का पौधा न केवल अपने औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी सुगन्ध और तीखे स्वाद के कारण भी इसे विभिन्न चिकित्सा और स्वास्थ्य सम्बंधित उपायों में शामिल किया जाता है। पिप्पली की लता भूमि पर फैलकर एक सुगन्धित वातावरण का निर्माण करती है, जिससे इसके औषधीय गुण और भी प्रभावी हो जाते हैं।
इस प्रकार, पिप्पली न केवल एक जड़ी-बूटी है, बल्कि एक संपूर्ण स्वास्थ्यवर्धक तत्व है जो अनेक रोगों के इलाज में सहायक है। इसके विभिन्न प्रकार और उपयोग इसे आयुर्वेदिक चिकित्सा में अनिवार्य बनाते हैं।
विभिन्न भाषाओं में पिप्पली के विभिन्न नाम | different names of Pippaliin different languages
Name in Hindi | पीपली, पीपर; उर्दू-पिपल (Pipal) |
Name in Sanskrit | पिप्पली, मागधी, कृष्णा, वैदही, चपला, कणा, ऊषण, शौण्डी, कोला, तीक्ष्णतण्डुला, चञ्चला, कोल्या |
Name in English | लॉन्ग पेपर (Long pepper), इण्डियन लौंग पीपर (Indian long pepper) |
Name in Malayalam | तिप्पली (Tippali) |
Name in Marathi | पिंपली (Pimpali) |
Name in Punjabi | पिप्पलीजड़ |
Name in Bengali | पीपुल (Peppul), पिप्पली (Pipali) |
Name in Tamil | टिपिलि (Tipili), पिप्पली (Pippilli) |
Name in Telugu | पिप्पलु (Pippalu), पिप्पलि (Pippali) |
Name in Gujarati | पीपर (Pipar), पीपरीजड़ (Piparimul) |
Name in Kannada | हिप्पली (Hippali) |
Name in Oriya | बैदेही (Baidehi) |
पिप्पली के फायदे | Benefits of Pippali
1. दांतों के रोग में पीपली के फायदे
- दांतों का दर्द ठीक करने के लिए:
- 1-2 ग्राम पीपली चूर्ण में सेंधा नमक, हल्दी और सरसों का तेल मिलाकर दांतों पर लगाने से दांतों का दर्द ठीक होता है। यह मिश्रण दांतों की सूजन और संक्रमण को भी कम करता है।
- मधु एवं घी के साथ उपयोग:
- पिप्पली चूर्ण में मधु और घी मिलाकर दांतों पर लेप करने से भी दांत के दर्द में फायदा होता है। यह मिश्रण दांतों की मजबूती बढ़ाने में सहायक है।
- ठंड लगने की परेशानी में लाभ:
- 3 ग्राम पिप्पली चूर्ण में 3 ग्राम मधु और घी मिलाकर दिन में 3-4 बार दांतों पर लेप करें। इससे दांतों में ठंड लगने की परेशानी में राहत मिलती है और दांत मजबूत होते हैं।
- जबड़े की बीमारी में फायदा:
- किसी व्यक्ति को जबड़े से संबंधित परेशानी हो रही हो तो उसे काली पिप्पली और अदरक को बार-बार चबाकर थूकना चाहिए। इसके बाद गर्म पानी से कुल्ला करना चाहिए। इससे जबड़े की बीमारी ठीक हो जाती है और दर्द में आराम मिलता है।
- बच्चों के दांत निकलने में सहायक:
- बच्चों के जब दांत निकल रहे होते हैं तो उन्हें बहुत दर्द होता है और अन्य परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में 1 ग्राम पिप्पली चूर्ण को 5 ग्राम शहद में मिलाकर मसूढ़ों पर घिसने से दांत बिना दर्द के निकल आते हैं और बच्चों को आराम मिलता है।
पिप्पली के इन औषधीय गुणों के कारण यह दांतों के विभिन्न रोगों के इलाज में अत्यंत प्रभावी है। इसके प्राकृतिक तत्व न केवल दर्द और सूजन को कम करते हैं बल्कि दांतों और मसूढ़ों को भी मजबूत बनाते हैं। इसलिए, पिप्पली को दांतों की देखभाल में शामिल करना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकता है।
2. सांसों के रोग में पिप्पली के फायदे
खांसी और सांसों से संबंधित बीमारियों में पिप्पली के लाभ
- खांसी और सांसों की बीमारी में:
- पिप्पली, आंवला, मुनक्का, वंशलोचन, मिश्री और लाख को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। इस मिश्रण को 3 ग्राम चूर्ण में 1 ग्राम घी और 4 ग्राम शहद मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें। इसे 10-15 दिन नियमित रूप से लेने से खांसी ठीक होती है और सांसों की समस्या में राहत मिलती है।
- पुरानी खांसी में लाभ:
- पिप्पली, पीपलाजड़, सोंठ और बहेड़ा को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 3 ग्राम तक दिन में 3 बार शहद के साथ चटाने से खांसी में विशेष लाभ होता है। यह मिश्रण विशेषकर पुरानी खांसी और बार-बार होने वाली खांसी में अत्यन्त लाभदायक है।
- सांसों के रोग में उपयोग:
- 1 ग्राम पिप्पली चूर्ण में दोगुना शहद या बराबर मात्रा में त्रिफला मिलाकर चाटने से सांसों के रोग, खांसी, हिचकी, बुखार, गले की खराश, साइनस और प्लीहा रोग में लाभ होता है।
पिप्पली के औषधीय गुण खांसी और सांसों से संबंधित बीमारियों में अत्यंत प्रभावी होते हैं। इसके प्राकृतिक तत्व श्वसन तंत्र को साफ करते हैं, सूजन को कम करते हैं, और संक्रमण से राहत दिलाते हैं। पिप्पली के चूर्ण और इसके अन्य औषधीय मिश्रणों का नियमित सेवन खांसी, हिचकी, गले की खराश, और साइनस जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है, जिससे श्वसन तंत्र स्वस्थ रहता है।
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3. खांसी और सांसों से संबंधित बीमारियों में पिप्पली के लाभ
- खांसी और सांसों की बीमारी में:
- पिप्पली, आंवला, मुनक्का, वंशलोचन, मिश्री और लाख को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। इस मिश्रण को 3 ग्राम चूर्ण में 1 ग्राम घी और 4 ग्राम शहद मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें। इसे 10-15 दिन नियमित रूप से लेने से खांसी ठीक होती है और सांसों की समस्या में राहत मिलती है।
- पुरानी खांसी में लाभ:
- पिप्पली, पीपलाजड़, सोंठ और बहेड़ा को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 3 ग्राम तक दिन में 3 बार शहद के साथ चटाने से खांसी में विशेष लाभ होता है। यह मिश्रण विशेषकर पुरानी खांसी और बार-बार होने वाली खांसी में अत्यन्त लाभदायक है।
- सांसों के रोग में उपयोग:
- 1 ग्राम पिप्पली चूर्ण में दोगुना शहद या बराबर मात्रा में त्रिफला मिलाकर चाटने से सांसों के रोग, खांसी, हिचकी, बुखार, गले की खराश, साइनस और प्लीहा रोग में लाभ होता है।
पिप्पली के औषधीय गुण खांसी और सांसों से संबंधित बीमारियों में अत्यंत प्रभावी होते हैं। इसके प्राकृतिक तत्व श्वसन तंत्र को साफ करते हैं, सूजन को कम करते हैं, और संक्रमण से राहत दिलाते हैं। पिप्पली के चूर्ण और इसके अन्य औषधीय मिश्रणों का नियमित सेवन खांसी, हिचकी, गले की खराश, और साइनस जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है, जिससे श्वसन तंत्र स्वस्थ रहता है।
4. चोट या मोच के दर्द में पीप्पली के फायदे
- पिप्पली के चूर्ण से दर्द को दूर करें: शरीर के किसी भी अंग में चोट लगने या मोच आने पर आधा चम्मच पिप्पली के जड़ के चूर्ण को गर्म दूध या पानी के साथ सेवन करने से दर्द में तुरंत राहत मिलती है। इसके साथ ही, इस उपाय से नींद भी अच्छी आती है जो शरीर को शांति देती है।
- हल्दी और दूध का संयोग: दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर पिएं, इससे चोट या मोच के दर्द में बहुत लाभ होता है। हल्दी के प्राकृतिक गुण और पिप्पली की शक्तिशाली विशेषताएं मिलकर दर्द को शांत करती हैं।
- आयुर्वेदिक संघटन से दर्द कम करें: लौंग, अकरकरा, पीपर, देवदारु, शतावरी, पुनर्नवा, सौंफ, विधारा, पोहकरजड़, सोंठ और अश्वगंधा को समान मात्रा में पीसकर लें। इसे 1-2 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से आम अंगों के दर्द में लाभ होता है और वातज विकार से होने वाला दर्द भी ठीक होता है।
इन उपायों को अपनाकर आप शरीर के दर्द को तेजी से ठीक कर सकते हैं और शांति प्राप्त कर सकते हैं। यदि दर्द या समस्या गंभीर है, तो चिकित्सक से परामर्श करना उचित रहेगा।
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5. मोटापा (वजन घटाने) कम करने के लिए पीप्पली के फायदे
पिप्पली का सेवन मोटापा कम करने में मददगार साबित होता है। आप 2 ग्राम पिप्पली चूर्ण में मधु मिलाकर दिन में 3 बार कुछ हफ्ते तक नियमित रूप से सेवन करें। इससे आपका वजन कम होता है। ध्यान दें कि पिप्पली चूर्ण का सेवन करते समय एक घंटे तक जल का सेवन नहीं करें। यदि बहुत ज्यादा प्यास लगे तो उसके बाद ही जल का सेवन करें। इस तरह से पिप्पली का सेवन करने से निश्चित रूप से मोटापा कम होता है
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6. पिप्पली के औषधीय गुण से जुकाम का इलाज
जुकाम में पिप्पली के फायदे
- चूर्ण के रूप में उपयोग:
- पिप्पली, पीपल, पीपलाजड़, काली मिर्च और सोंठ के बराबर-बराबर भाग का चूर्ण बना लें। इस चूर्ण की 2 ग्राम की मात्रा शहद के साथ चटाने से जुकाम में लाभ मिलता है। यह मिश्रण नाक की बंदी को खोलता है और श्वसन तंत्र को साफ करता है।
- काढ़ा के रूप में उपयोग:
- पिप्पली का काढ़ा बनाकर उसमें शहद मिलाकर थोड़ा-थोड़ा पिलाने से भी जुकाम से राहत मिलती है। यह काढ़ा गले की खराश को दूर करता है और सर्दी के लक्षणों को कम करता है।
पिप्पली के औषधीय गुण जुकाम के इलाज में अत्यंत प्रभावी हैं। इसके प्राकृतिक तत्व श्वसन तंत्र को मजबूत बनाते हैं और संक्रमण को कम करते हैं। पिप्पली के चूर्ण और काढ़ा का नियमित सेवन जुकाम के लक्षणों से तेजी से राहत दिलाता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है।
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7. आवाज (गला बैठने) पर पिप्पली के फायदे
गला बैठने पर पिप्पली के लाभ
- गले की समस्या का समाधान:
- गला बैठने (आवाज के बैठने) पर बराबर-बराबर मात्रा में पिप्पली और हर्रे लें। इनका चूर्ण बना लें और 1-2 ग्राम इस चूर्ण को कपड़े से छानकर मधु में मिला लें। इस मिश्रण का सेवन करने से गले की समस्या में राहत मिलती है। यह मिश्रण गले की सूजन और संक्रमण को कम करता है।
- कफज विकार में लाभ:
- इस मिश्रण का सेवन करने के बाद तीक्ष्ण मद्य (जैसे कि शराब) का पान करने से कफज विकार के कारण गला बैठने की समस्या में विशेष लाभ होता है। पिप्पली और हर्रे का यह मिश्रण गले की सफाई करता है और आवाज को फिर से सामान्य करने में मदद करता है।
पिप्पली के औषधीय गुण गले की समस्याओं, विशेषकर गला बैठने में अत्यंत प्रभावी होते हैं। इसके प्राकृतिक तत्व गले की सूजन को कम करते हैं और संक्रमण से राहत दिलाते हैं। पिप्पली और हर्रे के मिश्रण का सेवन गले की आवाज को सुधारने और कफज विकारों को दूर करने में मदद करता है, जिससे गला फिर से सामान्य हो जाता है।
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8. कोलेस्ट्राल को कम करने के लिए पिप्पली के फायदे
कोलेस्ट्राल को कम करने के लिए पिप्पली एक प्रभावशाली उपाय हो सकता है। पिप्पली चूर्ण में मधु मिलाकर सुबह-सुबह लेने से कोलेस्ट्रॉल की स्तर में सुधार हो सकता है। पिप्पली में प्राकृतिक तरीके से प्रगट होने वाले तत्व होते हैं जो शरीर के विभिन्न प्रक्रियाओं को संतुलित कर सकते हैं, जिससे हृदय स्वास्थ्य में भी लाभ होता है।
पिप्पली में मौजूद अल्कलॉयड्स, फ्लावोनॉयड्स और अन्य विशेष तत्वों के कारण यह रक्त में चोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है। इसके अतिरिक्त, पिप्पली विशेष रूप से अपने पाचन शक्ति के लिए प्रसिद्ध है, जो भी पाचन संबंधी समस्याओं का समाधान करने में मदद करता है।
इस उपाय को अपनाने से पहले, व्यक्ति को अपने चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। समय-समय पर लेने से सही मात्रा और तरीके से पिप्पली का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
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9. पिप्पली के सेवन से पेट के दर्द में लाभ
- पेट दर्द के लिए पीपली और छोटी हरड़ को बराबर-बराबर मिलाकर पीस लें। एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ सेवन करने पर पेट दर्द, पेट के मरोड़े व बदबूदार दस्त की परेशानी ठीक होती है। यह उपाय पेट के विभिन्न रोगों में लाभकारी साबित होता है।
- पिप्पली के 2 ग्राम चूर्ण में 2 ग्राम काला नमक मिलाकर गर्म जल के साथ सेवन करने से पेट दर्द कम होता है। यह उपाय पाचन को सुधारने और पेट संबंधी समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है।
- एक भाग पिप्पली, एक भाग सोंठ और 1 भाग काली मिर्च, तीनों को बराबर-बराबर मिलाकर महीन पीस लें। भोजन के बाद 1 चम्मच चूर्ण को गर्म जल के साथ दो बार नियमित रूप से कुछ दिन तक सेवन करें। इससे पेट दर्द में राहत मिलती है और पाचन भी सुधरता है।