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Chirayata Benefits in Hindi | चिरायता के फायदे व नुकसान

Chirayata Benefits in Hindi

चिरायता, जिसे ‘स्वर्तिया चिरायता’ के नाम से भी जाना जाता है, एक अत्यंत महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक औषधि है। यह एक कड़वी जड़ी-बूटी है जो भारतीय उपमहाद्वीप के पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती है। प्राचीन काल से चिरायता का उपयोग विभिन्न रोगों के उपचार में किया जाता रहा है। आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध चिकित्सा प्रणालियों में इसके औषधीय गुणों का उल्लेख मिलता है। ( Chirayata Benefits in Hindi ) चिरायता का उपयोग मुख्यतः लीवर विकारों, बुखार, खांसी, जुकाम, त्वचा रोगों, पेट के कीड़े, पाचन समस्याओं और ब्लड शुगर नियंत्रण में होता है। इसके कड़वे स्वाद के कारण यह पित्त स्राव को बढ़ाता है और शरीर को विषैले पदार्थों से मुक्त करने में मदद करता है। चिरायता में एंटीपायरेटिक, एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीपैरासिटिक और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो इसे एक प्रभावी औषधि बनाते हैं। इसके अलावा, यह इम्यूनिटी बढ़ाने और खून साफ करने में भी सहायक है। चिरायता का सेवन विभिन्न रूपों में किया जा सकता है, जैसे काढ़ा, पाउडर, गोलियां, अर्क और चाय। सही मात्रा में और चिकित्सक की सलाह से इसका सेवन करने पर चिरायता के अनेक स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं।

चिरायता क्या है? | What is Chirayata?

चिरायता एक औषधीय पौधा है जो ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाया जाता है। इसका वानस्पतिक नाम ‘स्वर्टिया चिरायता’ है। यह पौधा 2 से 4 फुट ऊँचा होता है और इसका जीवनकाल एक से दो वर्ष का होता है। चिरायता की पत्तियाँ और छाल अत्यंत कड़वी होती हैं और इसे आयुर्वेदिक चिकित्सा में ज्वर-नाशक और रक्तशोधक के रूप में महत्वपूर्ण माना जाता है।

चिरायता की कई किस्में होती हैं, जैसे कलपनाथ, गीमा, और शिलारस। इन सभी किस्मों के औषधीय गुण समान होते हैं और ये विभिन्न रोगों के उपचार में उपयोगी होती हैं।

अनेक भाषाओं में चिरायता के नाम | Names of Chirayata in many languages

Hindi चिरायता, चिरेता, चिरैता, नेपालीनीम, चिराइता
Sanskrit किराततिक्त, कैरात, कटुतिक्त, किरातक, काण्डतिक्त, अनार्यतिक्त, रामसेनक
English ब्राउन चिरेता (Brown chireta), व्हाइट चिरेता (White chireta), Chiretta (चिरेता)
Marathi काडेचिराईत (Kadechirait), चिराइता (Chirayita)
Telugu नलवेम (Nalavem), नीलवेरू (Nilveru), नीलवेम्बू (Nilavembu)
Tamil निलावेम्बु (Nilavembu), शिरातकूच्ची (Shirattakucchi)
Kannada नेलबेवु (Nelbaevu), किरायत (Kirayat)
Urdu चियारायता 
Bengali चिराता (Chirata), चिरेता (Chireta), महातिता (Mahatita)
Botanical Name Swertia

चिरायता के फायदे | Chirayata Benefits in Hindi

1. लीवर के लिए चिरायता के फायदे

चिरायता लीवर के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। यह एक प्राकृतिक हर्ब है जो लीवर की कार्यक्षमता को बढ़ाने और उसे विभिन्न विकारों से बचाने में मदद करता है। चिरायता के कड़वे स्वाद के कारण यह पित्त स्राव को उत्तेजित करता है, जिससे लीवर को साफ करने में सहायता मिलती है। यह लीवर में मौजूद विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे लीवर की सफाई होती है और उसकी कार्यक्षमता में सुधार आता है।

चिरायता में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो लीवर की सूजन को कम करने में सहायक होते हैं। यह लीवर कोशिकाओं की मरम्मत करने और उन्हें पुनर्जीवित करने में मदद करता है। इसके अलावा, चिरायता लीवर को हानिकारक फ्री रैडिकल्स से बचाता है, जिससे लीवर की सुरक्षा होती है और वह बेहतर तरीके से काम कर पाता है।

अल्कोहलिक लीवर डिजीज, फैटी लीवर और हेपेटाइटिस जैसी समस्याओं के उपचार में चिरायता का उपयोग किया जाता है। नियमित रूप से चिरायता का सेवन करने से लीवर की सेहत में सुधार होता है और लीवर से संबंधित कई बीमारियों से बचाव होता है। इसका सेवन काढ़े, पाउडर या गोलियों के रूप में किया जा सकता है, लेकिन किसी भी नई चिकित्सा पद्धति को अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए।

2. बुखार, खांसी और जुकाम के लिए चिरायता

चिरायता का उपयोग प्राचीन समय से बुखार, खांसी और जुकाम के उपचार में किया जाता रहा है। इसके अंदर एंटीपायरेटिक (बुखार कम करने वाले) और एंटीइंफ्लेमेटरी (सूजन कम करने वाले) गुण होते हैं, जो शरीर को बुखार से जल्दी राहत दिलाते हैं। बुखार में इसके कड़वे स्वाद के कारण शरीर की गर्मी कम होती है और पसीना आकर तापमान सामान्य हो जाता है।

खांसी और जुकाम के मामले में, चिरायता का सेवन बलगम को पतला करने और श्वसन तंत्र को साफ करने में मदद करता है। इसके एंटीमाइक्रोबियल गुण संक्रमण को रोकने और खत्म करने में सहायक होते हैं, जिससे खांसी और जुकाम जल्दी ठीक होते हैं। इसके अलावा, चिरायता प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है, जिससे शरीर संक्रमणों से लड़ने में अधिक सक्षम हो जाता है।

चिरायता का काढ़ा या चाय बनाकर सेवन करना इन समस्याओं के लिए बहुत प्रभावी होता है। इसे बनाने के लिए चिरायता की सूखी पत्तियों को पानी में उबालकर काढ़ा तैयार किया जाता है। इसका नियमित सेवन करने से बुखार, खांसी और जुकाम में तेजी से सुधार होता है। हालांकि, इसके सेवन से पहले एक योग्य चिकित्सक की सलाह लेना महत्वपूर्ण है ताकि सही मात्रा में इसका उपयोग किया जा सके और किसी भी संभावित दुष्प्रभाव से बचा जा सके।

3. त्वचा के लिए चिरायता

चिरायता त्वचा के लिए अत्यंत लाभकारी होता है और इसे विभिन्न त्वचा समस्याओं के उपचार में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। इसका मुख्य गुण रक्त को शुद्ध करना है, जिससे त्वचा की प्राकृतिक चमक बनी रहती है। चिरायता में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो त्वचा को बैक्टीरिया और अन्य हानिकारक तत्वों से बचाते हैं।

मुंहासे, फुंसियाँ और अन्य त्वचा संक्रमणों के उपचार में चिरायता अत्यंत प्रभावी है। इसके नियमित सेवन से त्वचा के रोमछिद्र साफ होते हैं और त्वचा पर होने वाली सूजन और लालिमा कम होती है। चिरायता का पेस्ट बनाकर प्रभावित क्षेत्र पर लगाने से भी लाभ मिलता है। यह त्वचा की जलन, खुजली और रैशेस को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा, चिरायता का उपयोग एक्जिमा और सोरायसिस जैसी गंभीर त्वचा समस्याओं के इलाज में भी किया जाता है।

चिरायता का सेवन या इसे बाहरी रूप से उपयोग करने से त्वचा की टोन में सुधार होता है और यह त्वचा को मुलायम और स्वस्थ बनाता है। इसके लिए चिरायता का काढ़ा, पाउडर, या अर्क उपयोग किया जा सकता है। त्वचा की समस्याओं के उपचार के लिए इसे आंतरिक और बाह्य दोनों रूपों में प्रयोग करना फायदेमंद होता है। सही मात्रा और उचित उपयोग से चिरायता के सभी लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं।

4. पेट में कीड़े होने पर चिरायता से लाभ

चिरायता पेट में कीड़े (पैरासाइट्स) की समस्या के लिए एक प्रभावी प्राकृतिक उपचार है। इसमें मौजूद एंटीपैरासिटिक गुण पेट के कीड़ों को मारने और उनकी वृद्धि को रोकने में मदद करते हैं। विशेष रूप से बच्चों में पेट के कीड़े एक आम समस्या होती है, जिससे भूख न लगना, पेट दर्द, और पाचन समस्याएं होती हैं। चिरायता का उपयोग इस समस्या के निवारण में अत्यंत लाभकारी साबित होता है।

चिरायता का काढ़ा बनाने के लिए इसकी सूखी जड़ी-बूटियों को पानी में उबालकर तैयार किया जाता है। यह काढ़ा बच्चों और वयस्कों को दिन में दो बार पिलाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं और पेट साफ रहता है। इसके नियमित सेवन से न केवल पेट के कीड़ों से मुक्ति मिलती है, बल्कि पेट की अन्य समस्याओं, जैसे गैस, कब्ज और अपच में भी राहत मिलती है।

चिरायता के एंटीपैरासिटिक गुण पेट की आंतों में कीड़े के अंडों और लार्वा को भी निष्क्रिय कर देते हैं, जिससे पुनः संक्रमण की संभावना कम हो जाती है। इसके अलावा, चिरायता के सेवन से आंतों की सेहत में सुधार होता है और पाचन तंत्र मजबूत बनता है। हालांकि, बच्चों को इसका सेवन कराने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें, ताकि सही मात्रा और विधि का पालन किया जा सके। चिरायता का उपयोग प्राकृतिक और सुरक्षित तरीका है जो पेट के कीड़े से होने वाली समस्याओं को दूर करने में प्रभावी है।

5. इम्यूनिटी के लिए चिरायता

चिरायता का सेवन इम्यूनिटी बढ़ाने में अत्यंत लाभकारी होता है। इसमें प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो शरीर को मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाते हैं। मुक्त कण शरीर की कोशिकाओं को क्षति पहुँचाते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करते हैं। चिरायता का सेवन इन मुक्त कणों को निष्क्रिय करने में मदद करता है, जिससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है।

चिरायता में मौजूद एंटीमाइक्रोबियल और एंटीवायरल गुण भी इम्यूनिटी को बढ़ाने में सहायक होते हैं। यह शरीर को बैक्टीरिया, वायरस और अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों से बचाने में मदद करता है, जिससे संक्रमण का खतरा कम हो जाता है। विशेषकर सर्दी, खांसी, जुकाम और अन्य मौसमी बीमारियों से बचाव में चिरायता का सेवन अत्यंत प्रभावी है।

इसके अलावा, चिरायता का कड़वा स्वाद पाचन तंत्र को उत्तेजित करता है, जिससे पित्त स्राव में वृद्धि होती है और भोजन का पाचन बेहतर होता है। अच्छा पाचन भी इम्यूनिटी को बढ़ाने में सहायक होता है क्योंकि पोषक तत्वों का सही अवशोषण शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है।

चिरायता का नियमित सेवन, विशेषकर काढ़ा या चाय के रूप में, इम्यून सिस्टम को मजबूती प्रदान करता है और बीमारियों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है। हालांकि, इसे उचित मात्रा में और चिकित्सक की सलाह से ही सेवन करना चाहिए ताकि इसके सभी लाभों का समुचित लाभ उठाया जा सके।

6. पाचन स्वास्थ्य के लिए चिरायता

चिरायता पाचन तंत्र के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। इसके कड़वे स्वाद के कारण यह पित्त स्राव को बढ़ावा देता है, जो पाचन क्रिया को सक्रिय और संतुलित रखने में मदद करता है। चिरायता का सेवन करने से भूख में सुधार होता है और भूख न लगने की समस्या से छुटकारा मिलता है। यह कब्ज, एसिडिटी, गैस्ट्राइटिस, और अपच जैसी पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में सहायक है। इसके अलावा, चिरायता पेट की मांसपेशियों को आराम देता है, जिससे पेट के दर्द और ऐंठन में राहत मिलती है।

इसके एंटीमाइक्रोबियल गुण पेट में हानिकारक बैक्टीरिया को मारने में मदद करते हैं, जिससे पेट संक्रमण से सुरक्षित रहता है। नियमित रूप से चिरायता का सेवन करने से पाचन तंत्र मजबूत होता है और पाचन संबंधित समस्याओं का जोखिम कम हो जाता है। चिरायता का उपयोग काढ़ा, पाउडर या चाय के रूप में करना सबसे प्रभावी होता है, और इसके सेवन से समग्र पाचन स्वास्थ्य में सुधार होता है।

7. खून साफ करने में मददगार

चिरायता खून को साफ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर के विषैले पदार्थों को हटाकर रक्त को शुद्ध करते हैं। इसके उपयोग से रक्त में मौजूद अवशोषित पदार्थों को निष्कासित किया जाता है और खून का परिसंचरण बढ़ाया जाता है। यह विषैले पदार्थों के संक्रमण को रोकता है और शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

चिरायता का नियमित सेवन खून की सफाई को बढ़ाने में मदद करता है और संग्रहित तापमान को नियंत्रित करने में सहायक होता है। इसके अलावा, यह रक्त में ओक्सीजन के प्रवाह को बढ़ाता है, जिससे शरीर के अंगों को पर्याप्त मात्रा में ओक्सीजन पहुंचता है और उनका स्वस्थ रहना सुनिश्चित होता है।

8. पेट के दर्द में चिरायता के सेवन से लाभ

चिरायता का उपयोग पेट के दर्द में भी बहुत फायदेमंद होता है। पेट का दर्द अनेक कारणों से हो सकता है, जैसे कीड़े, गैस, एसिडिटी, और पाचन संबंधी समस्याएं। चिरायता में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी और पेट संबंधी रोगों को ठीक करने के गुण पेट के दर्द को कम करने में मदद करते हैं।

चिरायता के औषधीय गुण पेट के संक्रमण को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं, जिससे दर्द कम होता है। इसके सेवन से पेट की खराबी, गैस, और अन्य संबंधित समस्याओं में आराम मिलता है। चिरायता में मौजूद विशेष रूप से एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी पेट के दर्द को कम करने में मदद करते हैं और दर्द और सूजन को शांत करने में सहायक होते हैं।

इसके अलावा, चिरायता का उपयोग कुछ अन्य उपायों के साथ मिलाकर भी किया जा सकता है, जैसे उपवास, हल्दी वाला दूध, और गरम पानी।

9. ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में चिरायता फायदेमंद

चिरायता एक औषधीय पौधा है जो मधुमेह या ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मददगार साबित होता है। यह आयुर्वेदिक चिकित्सा में ब्लड शुगर के उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है। चिरायता में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण और विशेष तत्व शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। यह शरीर के रक्त में ग्लूकोज के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है, जिससे मधुमेह के प्रभावों को कम किया जा सकता है।

चिरायता में मौजूद विशेष तत्व इंसुलिन के प्रतिक्रिया को बढ़ा सकते हैं, जो शरीर में ग्लूकोज के संचय को नियंत्रित करता है। इसके अलावा, चिरायता का नियमित सेवन इंसुलिन संबंधी संचय की त्वरितता को बढ़ा सकता है, जिससे शरीर के अंदर ग्लूकोज के स्तर को संतुलित रखने में मदद मिलती है। यह रक्तशर्करा स्तर को नियंत्रित करके उच्च रक्तशर्करा से पीड़ित व्यक्तियों के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। चिरायता का नियमित सेवन करके मधुमेह के प्रभावों को कम करने में सहायक हो सकता है।

चिरायता का सेवन कैसे करें

चिरायता का सेवन विभिन्न रूपों में किया जा सकता है:

1. चिरायता का काढ़ा

चिरायता का काढ़ा बनाना बहुत ही सरल है। इसके लिए चिरायता की सूखी जड़ी-बूटियों को पानी में उबालकर काढ़ा तैयार किया जाता है। यह काढ़ा दिन में दो बार पीने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है।

2. चिरायता का पाउडर

चिरायता का पाउडर को पानी या शहद के साथ मिलाकर सेवन किया जाता है। चिरायता का पाउडर नियमित सेवन करने से विभिन्न बीमारियों में राहत मिलती है।

3. चिरायता का अर्क

चिरायता का अर्क भी बहुत फायदेमंद होता है। इसे पानी में मिलाकर या सीधे सेवन किया जा सकता है। चिरायता का अर्क विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं में लाभकारी होता है।

4. चिरायता की चाय

चिरायता की चाय भी एक लोकप्रिय उपाय है। इसे बनाने के लिए चिरायता की सूखी पत्तियों को पानी में उबालकर चाय तैयार की जाती है। इसका नियमित सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।

चिरायता का काढ़ा कैसे बनायें

चिरायता का काढ़ा तैयार करना बहुत ही सरल है और इसके लिए निम्नलिखित चरणों का पालन किया जा सकता है:

काढ़ा बनाने की प्रक्रिया:

  1. पानी को एक कढ़ाई में डालें और उसे उबालें।
  2. जब पानी उबाल जाए, तो चिरायता पत्तियाँ, कटा हुआ अदरक, तुलसी पत्तियाँ, दालचीनी, और लौंग को पानी में डालें।
  3. इसके बाद, गरमी को मध्यम से धीरे-धीरे कम करें और सिम पर चला दें।
  4. अब इसे 8-10 मिनट तक पकाएं, ताकि सभी अवशेष ठीक से मिल जाएं और पानी का रंग भी बदल जाए।
  5. इसके बाद अग्नि बंद कर दें और काढ़ा ठंडा होने तक ठंडा होने दें।
  6. ठंडा होने पर काढ़ा को छानकर एक कप में लें और शहद के साथ पीएं।

इस तरीके से आप अपने घर पर चिरायता का काढ़ा तैयार कर सकते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।

चिरायता की चाय कैसे बनायें

चिरायता की चाय बनाने की प्रक्रिया:

  1. एक कड़ाई में पानी को गरम करें।
  2. जब पानी उबलने लगे, तो उसमें चिरायता पत्तियाँ डालें।
  3. चिरायता को लगभग 3-4 मिनट तक उबालें, ताकि पानी में इसके गुण सही से निकलें।
  4. अब चाय को चायनी से छानकर कप में डालें।
  5. अगर चाय को मधुर बनाना चाहते हैं, तो उसमें थोड़ा शहद मिला सकते हैं।

चिरायता की चाय तैयार है। इसे गरमा-गरम पीयें और इसके स्वास्थ्य लाभ का आनंद लें। ध्यान दें कि चिरायता की चाय का सेवन अधिकतम दो बार दिन में किया जा सकता है, और सर्दियों में इसकी चाय का सेवन करना अधिक लाभकारी हो सकता है।

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